Jyotish Shastra : जन्मकुंडली से ऐसे जानें, कैसी होगी आपकी पत्नी
- जन्मकुंडली में जातक के जीवन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं का राज छिपा रहता है।
- जन्मकुंडली से आप लोग अपने जीवन के संदर्भ में सभी बातों को जान सकते हैं।
- जन्मकुंडली का सप्तम भाव पत्नी के गुण और अवगुण आदि के बारे में बताता है।
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Jyotish Shastra : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक की जन्मकुंडली में जातक के जीवन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं का राज छिपा रहता है। जन्मकुंडली से आप लोग अपने जीवन के संदर्भ में सभी बातों को जान सकते हैं। व्यक्ति की जन्मकुंडली से उसकी आयु, पद-प्रतिष्ठा, पत्नी और पुत्र आदि अनके विषयों के बारे में पता चल जाता है। जन्मकुंडली का सप्तम भाव पत्नी के गुण और अवगुण आदि के बारे में बताता है। तो आइए जानते हैं जन्मकुंडली के अनुसार आपकी होने वाली पत्नी के स्वभाव और गुणों के बारे में।
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- सप्तम भाव में मेष राशि हो तो व्यक्ति स्वयं भी क्रोधी, हठी तथा अपना काम बनाने वाला होता है तथा पति-पत्नी आदि में कलह होता रहता है।
- वृषभ राशि सप्तम भाव में हो तो जातक की पत्नी सुन्दर-सुशील एवं धैर्यशील, अपने पर अभिमान करने वाली होती है।
- मिथुन राशि सप्तम भाव में हो तो उसकी पत्नी मध्यम, उत्तम विचार वाली एवं मनमोहक होती है।
- कर्क राशि सप्तम में हो तो स्त्री अत्यन्त सुन्दर, मधुर स्वभाव, सहज एवं सब का मन मोह लेने वाली अत्यन्त भावुक होती है।
- सिंह राशि सप्तम भाव में हो तो क्रोधी स्वभाव की पत्नी साथ ही तनाव देने वाली तथा अपनी बातों को मनवाने वाली, क्रोधी, कलह करने वाली होती है, परन्तु मस्तिष्क से बहुत तेज और बुद्धिमान होती है।
- कन्या राशि सप्तम भाव में हो तो सुन्दर-सुशील, लज्जाशील, मधुरभाषी, सौभाग्य युक्त और सम्पत्ति को बढ़ाने वाली पत्नी प्राप्त होती है। सन्तान पक्ष को लेकर चिन्ता रहती है। लेकिन चिन्ताओं से मुक्त होकर अपने पति को मार्ग दिखाने वाली होती है।
- जिसकी कुंडली के सप्तम भाव में तुला राशि हो उसे सुन्दर-सुशील, उच्च शिक्षा युक्त, धार्मिक कार्यों में रुचि रखने वाली, साहसी, सौन्दर्य प्रिय तथा आभूषण प्रिय पत्नी प्राप्त होती है तथा उसे सजावट एवं साफ-सुथरा अत्यन्त प्रिय होता है, साथ ही वह उदारवादी प्रवृत्ति की भी होती है।
- जिसकी कुंडली के सप्तम भाव में वृश्चिक राशि हो तो वह अधूरी शिक्षा, भाग्यहीनता, बाल्यावस्था से ही कठोर परिश्रम, हर क्षेत्र में असफलता, ससुराल पक्ष कमजोर, हीन भावना आदि से ग्रसित होता है।
- जिसकी कुंडली के सप्तम भाव में धनु राशि हो तो वह अहंकारी, सम्मान पाने के लिए कुछ भी करने वाली, सुन्दर तथा अल्प शिक्षा से युक्त परन्तु कला आदि में रुचि रखने वाली होती है और उसे ससुराल पक्ष से जीवन में सहयोग प्राप्त होता है।
- जिसकी कुंडली में सप्तम भाव में मकर राशि हो उसकी स्त्री अल्प शिक्षित, शृंगार आदि में समय व्यर्थ करने वाली, क्रोधी, तंत्र-मंत्र टोटके आदि में विश्वास रखने वाली, किसी भी प्रकार का व्यंग्य न सहने वाली, अपनी बातें दूसरों के ऊपर थोपने वाली होती है तथा वह घृणा करने में भी पीछे नहीं रहती।
- जिस जातक की कुंडली के सप्तम भाव में कुंभ राशि हो तो स्त्री संघर्ष करते हुए विपत्तियों से लड़ने वाली, दृढ़ता से हर कार्य करने वाली, ईश्वर में आस्था रखने वाली, पुण्य कार्यों में रुचि रखने वाली परन्तु अंहकार की भावना रखने वाली होती है और अपने यश एवं प्रतिष्ठा के लिए प्रयत्न करती रहती है। उसको चाहिए कि लोग उसकी बढ़ाई व प्रशंसा करते रहें। ऐसे व्यक्ति झूठी शान में जीवन यापन करते रहते हैं।
- जिस जातक की कुंडली में सप्तम भाव में मीन राशि हो तो स्त्री धर्म से युक्त, दान-पुण्य देने में विश्वास रखने वाली, भगवान में अटूट श्रद्धा रखने वाली, जीवन में अनेक कठिनाइयों से लड़ने वाली, चंचल स्वभाव तथा तुरन्त उत्तर देने में सक्षम होती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)