Jyotish Shastra: दांपत्य जीवन में कड़वाहट और प्रेम में धोखा व ब्रेकअप करा देता है ये ग्रह, अशुभ होने पर करें ये काम

Jyotish Shastra: शनि को क्रूर ग्रह के तौर पर देखा जाता है। जबकि शास्त्रों में शनि को एक अहम ग्रह माना गया है, जोकि न्याय और कर्म के देवता है। धर्मशास्त्रों में शनि के बारे में कहा जाता है कि, जब ये अशुभ होते हैं तो जीवन में परेशानियां भर देते हैं।;

Update: 2022-07-22 01:50 GMT

Jyotish Shastra: शनि को क्रूर ग्रह के तौर पर देखा जाता है। जबकि शास्त्रों में शनि को एक अहम ग्रह माना गया है, जोकि न्याय और कर्म के देवता है। धर्मशास्त्रों में शनि के बारे में कहा जाता है कि, जब ये अशुभ होते हैं तो जीवन में परेशानियां भर देते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति स्वयं को असहाय महसूस करने लग जाता है। शनि खराब हो तो व्यक्ति को प्यार में भी सफलता नहीं मिलती है। शनि अपनी कुंडली में अशुभ हो तो इसका पता कैसे लगाया जा सकता है, आइए जाते हैं शनि के अशुभ होने की स्थिति के बारे में...

ज्योतिष शास्त्र में शनि को मकर, कुंभ राशि का स्वामी ग्रह माना गया है। जबकि ये मेष राशि में नीच का हो जाता है और जब शनि तुला राशि में आता है तो उच्च का हो जाता है। वहीं तुला राशि शनि की प्रिय राशि है। वहीं शनि जब अशुभ होते हैं तो ये दिक्कतें देते हैं।

शनि जब अशुभ होते हैं तो धन की हानि होती है। जमा पूजीं नष्ट होने लगती है। नजदीकी लोगों से संबंध खराब होने लगते हैं। शत्रु आपके ऊपर हावी होने लगते हैं। अचानक से सेहत खराब होने लगती है। दांपत्य जीवन में तनाव आने लगता है। प्रेम संबंधों में बाधा आने लगती है। विवाह आदि में देरी होती है। शादी संबंध टूटने लगते हैं। कोर्ट-कचहरी के मामले में आप फंस जाते हैं।

शनि को शुभ बनाए रखना बहुत जरुरी है। शनि को समय रहते शुभ नहीं बनाया जाता है तो जीवन में परेशानियां बढ़ने लगती हैं। कुण्डली का पांचवां भाव प्रेम संबंध का बताया जाता है। कुंण्डली में जब इस भाव पर शनिदेव की दृष्टि पड़ती है तो प्रेम संबंधों में दिक्कतें आने लगती हैं।

शनि के उपाय

शनि को प्रसन्न रखने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय बताए गए हैं। जिनका पालन करते हुए आप शनिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं। ऐसा करने से शनि की अशुभता दूर हो सकती है।

शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करें। शनि मंदिर में कड़वा तेल चढ़ाएं। शनि मंत्र और शनि चालीसा का पाठ करें। आर्थिक रुप से कमजोर लोगों की मदद करें। कठोर परिश्रम करने वाले लोगों की सहायता करें। किसी की निंदा ना करें। धर्मकर्म के कार्यों में रुचि लें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।) 

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