Jyotish Shastra: सूरज को अर्घ्य देने से बढ़ती है उम्र, जानें इस ग्रह और आर्द्रा नक्षत्र से जुड़ी ये बातें, वरना...
Jyotish Shastra: सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में आने पर खीर-पूड़ी और कई तरह के पकवान बनाकर उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर पूजा और स्वागत करते हैं। मान्यता है कि इस परंपरा से बीमारियां दूर होती हैं और उम्र भी बढ़ती है।;
Jyotish Shastra: सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में आने पर खीर-पूड़ी और कई तरह के पकवान बनाकर उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर पूजा और स्वागत करते हैं। मान्यता है कि इस परंपरा से बीमारियां दूर होती हैं और उम्र भी बढ़ती है। आर्द्रा नक्षत्र पर राहु का विशेष प्रभाव रहता है। जो कि मिथुन राशि में आता है। जब सूर्य सूर्य इस नक्षत्र में होता है तब पृथ्वी रजस्वला होती है। ये नक्षत्र उत्तर दिशा का स्वामी है। इसे खेती के कामों में मददगार माना जाता है।
स्वराशि में रहेंगे ये पांच ग्रह
ग्रह गोचर की गणना से देखें तो आषाढ़ मास में पांच ग्रह स्वराशि में रहेंगे। इसमें प्रमुख रूप से मंगल मेष राशि, बुध मिथुन राशि, गुरु मीन राशि, शुक्र वृषभ राशि तथा शनि कुंभ राशि में गोचरस्थ रहेंगे। मंगल का मेष राशि में प्रवेश 27 जून को होगा, शुक्र 18 जून को वृषभ में जाएंगे, बुध का मिथुन में प्रवेश 1 जुलाई को होगा। इधर शनि व गुरु पहले से ही अपनी-अपनी राशि में गोचरस्थ हैं। इन पांच ग्रहों की उत्तम स्थित के कारण ही वर्षा ऋतु में सर्वत्र श्रेष्ठ बारिश के योग बन रहे हैं
सूर्य की चाल से बदल जाती हैं ऋतुएं
सूर्य किसी भी राशि में एक महीने तक रहता है। इस तरह 2 राशियां बदलने पर मौसम भी बदल जाता है। जैसे सूर्य जब वृष और मिथुन राशि में रहता है तब 15 मई से ग्रीष्म ऋतु शुरू हो जाती है। इसके बाद वर्ष ऋतु के दौरान कर्क और सिंह राशि में सूर्य रहता है। फिर कन्या और तुला राशि में जब सूर्य रहता है तो शरद ऋतु होती है। इसके बाद वृश्चिक और धनु राशि में सूर्य के चलते हेमंत और मकर-कुंभ में रहते हुए शिशिर ऋतु होती है। फिर मीन और मेष राशि में जब सूर्य होता है तो वसंत ऋतु रहती है।
संसार की आत्मा हैं सूर्य
ज्योतिष और भारतीय संस्कृति में सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान सूर्य ऊर्जा के प्रतीक हैं और आरोग्य के कारक हैं। साथ ही भगवान सूर्य को संसार की आत्मा कहा जाता है और यह प्रकृति का केन्द्र हैं। सूर्य के नक्षत्र परिवर्तन के दिन साधु-संतों के साथ ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन कराकर व वस्त्र दान करने के साथ गायों को हरा चारा खिलाना चाहिए। पक्षियों के लिए घौसले भी लगाने चाहिए। विष्णु और शिव की कृपा अपने भक्तों पर हमेशा बनी रहती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)