Jyotish Shastra: तिलक क्यों लगाते हैं, जानें इसका धार्मिक महत्व, फायदे और नुकसान
Jyotish Shastra: तिलक के बिना हिन्दू सनातन धर्म में कोई भी धार्मिक पूजा-पाठ और अनुष्ठान आदि कार्य पूर्ण नहीं माना जाता है। हिन्दूर्ग्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक तिलक लगाने की परंपरा पौराणिक काल से ही चली आ रही है। वहीं मस्तिष्क पर तिलक सम्मान का सूचक भी माना जाता है। पौराणिक काल से ही अतिथियों का स्वागत और विदाई के दौरान तिलक करने की परंपरा रही है।;
Jyotish Shastra: तिलक के बिना हिन्दू सनातन धर्म में कोई भी धार्मिक पूजा-पाठ और अनुष्ठान आदि कार्य पूर्ण नहीं माना जाता है। हिन्दूर्ग्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक तिलक लगाने की परंपरा पौराणिक काल से ही चली आ रही है। वहीं मस्तिष्क पर तिलक सम्मान का सूचक भी माना जाता है। पौराणिक काल से ही अतिथियों का स्वागत और विदाई के दौरान तिलक करने की परंपरा रही है। किसी कार्य में सफलता हेतु भी तिलक लगाने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। तो आइए जानते हैं माथे पर तिलक लगाने के पीछे हमारे हिन्दू सनातन धर्म की क्या मान्यताएं हैं और ललाट पर टीका क्यों लगाया जाता है और इसे लगाने के क्या फायदे हैं।
तिलक लगाने के बारे में स्कंद पुराण की मानें तो कहा जाता है कि, अनामिका उंगली से तिलक लगाने पर शांति की प्राप्ति होती है और मध्यमा उंगली से टीका करने पर मनुष्य की आयु बढ़ती है। तथा अंगूठे से तिलक करने पर व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहता है और तर्जनी उंगुली से टीका करने पर व्यक्ति को मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अनामिका शान्तिदा प्रोक्ता मध्यमाऽऽयुष्करी भवेत्।
अंगुष्ठ: पुष्टिद: प्रोक्तस्तर्जनी मोक्षदायिनी।।
वहीं ऐसी भी मान्यता है कि, अगर आप शयन कर रहे हैं तो आपको तिलक का त्याग कर देना चाहिए। तिलक लगाकर सोने से मनुष्य को जीवनभर अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वहीं ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, तिलक के बिना कोई भी धार्मिक कार्य करना वर्जित माना जाता है और अगर आप लोग बिना तिलक लगाए कोई भी धार्मिक कार्य कर भी लेते हैं तो उस कार्य का फल आपको कभी नहीं नही मिलता है। बिना तिलक के किया गया शुभ कार्य व्यर्थ ही चला जाता है। इसीलिए कोई भी शुभ और धार्मिक कार्य करने से पहले अपने ललाट पर तिलक जरुर लगवाएं। तिलक रहित होकर कोई भी कार्य ना करें। ब्रह्मवैवर्त पुराण के एक श्लोक में कहा गया है कि, तिलक लगाए बिना स्नान-दान, तप, होम, देवकर्म और यहां तक कि, पितृकर्म करने को कोई भी पुण्य मनुष्य को प्राप्त नहीं होता है, ये सभी शुभ कार्य विधिपूर्वक करने पर भी निष्फल हो जाते हैं।
स्नानं दानं तपो होमो देवता पितृकर्म च।
तत्सर्व निष्फलं याति ललाटे तिलकं विना।।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)