Kaal Bhairav Jayanti 2022 : बाबा काल भैरव के जन्म की कथा है बड़ी दिलचस्प, एक क्लिक में पढ़ें पूरी Story

Kaal Bhairav Jayanti 2022 : बाबा काल भैरव महादेव के ही स्वरूप हैं और वहीं उनके जन्म की कथा भी बड़ी ही दिलचस्प है। पौराणिक धर्मशास्त्रों की मानें तो भगवान ब्रह्मदेव के पहले पांच सिर हुआ करते थे, कहा जाता है कि, बाबा काल भैरव ने ब्रह्मा जी के पांचवें सिर को काट लिया था।;

Update: 2022-11-13 04:24 GMT

Kaal Bhairav Jayanti 2022 : बाबा काल भैरव महादेव के ही स्वरूप हैं और वहीं उनके जन्म की कथा भी बड़ी ही दिलचस्प है। पौराणिक धर्मशास्त्रों की मानें तो भगवान ब्रह्मदेव के पहले पांच सिर हुआ करते थे, कहा जाता है कि, एक बार बाबा काल भैरव ने क्रोध में आकर ब्रह्मा जी के पांचवें सिर को काट लिया था। तो आइए जानते हैं, बाबा काल भैरव के जन्म की कहानी के बारे में...

काल भैरव जयंती शुभ मुहूर्त 2022

काल भैरव जयंती तिथि

 उदयातिथि के आधार पर काल भैरव जयंती 16 नवंबर 2022, दिन बुधवार को मनायी जाएगी।

अष्टमी तिथि प्रारंभ 

16 नवंबर 2022, सुबह 05:49 बजे

अष्टमी तिथि समाप्त 

17 नवंबर 2022, सुबह 07:57 बजे

सूर्योदय टाइम 

सुबह 06:44 बजे

सुबह की पूजा का मुहूर्त 

सुबह 06:44 बजे से लेकर सुबह 09:25 बजे तक

संध्या पूजा का मुहूर्त 

संध्या पूजा शाम 04:07 बजे से शाम 05:27 बजे तक 

रात्रि पूजा का मुहूर्त 

 रात्रि 07:07 बजे से रात्रि 10:26 बजे तक

निशिता काल पूजा का मुहूर्त

 रात्रि 11:40 बजे से लेकर रात्रि 12:33 बजे तक

काल भैरव के जन्म की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी के पांचवे सिर ने भगवान शिव के लिए बहुत अधिक कठोर अपशब्दों का प्रयोग किया। उन्होंने वेदों से कहा कि, महादेव स्वयं तो नग्न रहते ही हैं और ना ही उनके पास धन है और न ही वैभव अपने शरीर पर महादेव भस्म लगाकर घूमते हैं। ब्रह्मा जी के मुख से ऐसा सुनकर सभी वेदों और देवी देवताओं को गहरा आघात लगा। उसी समय दिव्यज्योति शिवलिंग में से एक बालक की उत्पन्न हुआ। उस बालक के स्वर से रुद्र शब्द निकलने लगा। ब्रह्मा को लगा की यह बालक उनके तेज से हुआ है। अधिक रोने के कारण उस बालक का नाम रुद्र रखा गया।

ब्रह्मा जी ने उस बालक को कई वरदान दिए। परंतु ब्रह्मा जी के पांचवे सिर से भगवान शिव के लिए अपशब्द निकलने बंद नहीं हुए। जिसके बाद भैरव जी ने अपनी सबसे छोटी उंगली से ब्रह्मा जी के पांचवे सिर को काट लिया। जिसके बाद बाबा काल भैरव को ब्रह्म हत्या का दोष लग गया। जिसके बाद भगवान शिव ने काल भैरव से कहा कि, तुम त्रिलोक में तब तक भटकते रहोगे जब तक तुम इस दोष से मुक्त न हो जाओगे। इसके बाद ब्रह्मा जी का वह शीश स्वयं ही काशी में गिर गया। जिसके बाद भगवान शिव ने भैरव जी का काशी का कोतवाल बना दिया।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।) 

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