Kaal Bhairava Jayanti 2021: काल भैरव पूजा से दूर होते हैं रोग और मिल जाता है भगवान शिव का आशीर्वाद

Kaal Bhairava Jayanti 2021: काल भैरव को भगवान शिव का तीसरा रूद्र अवतार माना जाता है। पुराणों के मुताबिक मार्गशीष महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन ही भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे। इस बार काल भैरव अष्टमी शनिवार 27 नवंबर को है।;

Update: 2021-11-26 07:30 GMT

Kaal Bhairava Jayanti 2021: काल भैरव को भगवान शिव का तीसरा रूद्र अवतार माना जाता है। पुराणों के मुताबिक मार्गशीष महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन ही भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे। इस बार काल भैरव अष्टमी शनिवार 27 नवंबर को है। इस कृष्णाष्टमी को मध्याह्न काल यानी दोपहर में भगवान शंकर से भैरव रूप की उत्पत्ति हुई थी। भगवान भैरव से काल भी डरता है। इसलिए उन्हें काल भैरव भी कहते हैं। वहीं इस बार काल भैरव जयंती शनिवार 27 नवंबर को मनायी जाएगी। इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान शिव के रौद्र रूप भगवान भैरव की पूजा करने का विधान है। इस दिन प्रातः व्रत का संकल्प लेकर रात्रि में कालभैरव भगवान की पूजा की जाती है। काल भैरव अष्टमी को कालाष्टमी भी कहा जाता हैं। कालाष्टमी के दिन शिव शंकर के इस रूप भैरव का जन्म हुआ था। भैरव का अर्थ है भय को हरने वाला, इसीलिए ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन जो भी व्यक्ति कालभैरव की पूजा करने से भय का नाश होता है। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव, माता पार्वती और काल भैरव की पूजा करनी चाहिए। विद्वानों का मानना है कि ये पूजा रात में की जाती है।

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ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि शिवपुराण के अनुसार इस दिन भगवान शंकर के अंश से काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी। अपने अंहाकर में चूर अंधकासुर दैत्य ने भगवान शिव के ऊपर हमला कर दिया था। उसके संहार के लिए भगवान शिव के खून से भैरव की उत्पत्ति हुई। काल भैरव शिव का ही स्वरूप हैं। इनकी आराधना करने से समस्त दुखों व परेशानियों और रोगों से छुटकारा मिल जाता है।

भगवान कालभैरव की पूजा से दूर होते हैं रोग

भैरव का अर्थ है भय को हरने वाला या भय को जीतने वाला। इसलिए काल भैरव रूप की पूजा करने से मृत्यु और हर तरह के संकट का डर दूर हो जाता है। नारद पुराण में कहा गया है कि काल भैरव की पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मनुष्य किसी रोग से लंबे समय से पीड़ित है तो वह बीमारी और अन्य तरह की तकलीफ दूर होती है। काल भैरव की पूजा पूरे देश में अलग-अलग नाम से और अलग तरह से की जाती है। काल भैरव भगवान शिव की प्रमुख गणों में एक हैं।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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