Kamika Ekadashi 2021 : कामिका एकादशी व्रत करने से मिलती है समस्त पापों से मुक्ति, एक क्लिक में पढ़ें इसकी कथा
- सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका या पवित्रा एकादशी कहा जाता है।
- पापों से भयभीत मनुष्य को कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।
- एकादशी व्रत से बढ़कर पापों के नाश का कोई दूसरा उपाय नहीं है।
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Kamika Ekadashi 2021: कामिका एकादशी व्रत 04 अगस्त 2021, दिन बुधवार को है। श्रावण कृष्ण एकादशी को कामिका या पवित्रा एकादशी भी कहा जाता है। अनेक प्रकार के पाप से भयभीय मनुष्य को कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। एकादशी व्रत से बढ़कर पापों के नाश का कोई दूसरा उपाय नहीं है। जो व्यक्ति कामिका एकादशी के दिन श्रद्धा पूर्वक भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करता है, वह समस्त पापों से दूर रहता है। तुलसी के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और इसके स्पर्श से मनुष्य पवित्र हो जाता है। कामिका एकादशी व्रत करने वाला जीव कभी कुयोनि में जन्म नहीं लेता है। तो आइए जानते हैं कामिका एकादशी व्रत कथा के बारे में...
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कामिका एकादशी व्रत कथा
पौराणिक काल में एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि हे माधव! श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में जो एकादशी आती है, वो कौन सी एकादशी है और उसकी कथा क्या है, हे प्रभु कृपा करके मुझे बताएं।
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि हे राजन! सावन मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी तथा पवित्रा एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के उपेंद्र स्वरुप की पूजा की जाती है। इस एकादशी का व्रत करने से पूर्वजन्म के कर्मों से मिले पाप भी कट जाते हैं और व्यक्ति के जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती है। तथा एक हजार गौ दान के समान पुन्य फल की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। अब मै आपको कामिका एकादशी की कथा सुनता हूं।
प्राचीन काल में किसी गांव में एक ठाकुर और एक ब्राह्मण रहते थे। दोनों ही एक- दूसरे ईष्या रखते थे जिसके कारण उनकी बिल्कुल नहीं बनती थी। एक दिन उस ठाकुर का ब्राह्मण से झगड़ा हो गया और क्रोध में आकर उसने ब्राह्मण की हत्या कर दी।
ब्रह्महत्या के पाप से दुखी उस ठाकुर ने ब्राह्मण का अंतिम संस्कार करना चाहा, लेकिन अन्य ब्राह्मणों ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। ब्रह्म हत्या का दोषी होने के कारण ब्राह्मणों ने उसके यहां भोजन करने से इंकार कर दिया। इससे व्यथित उस ठाकुर ने एक ऋषि से इस पाप के निवारण का उपाय पूछा। इस पर ऋषि ने उसे कामिका एकादशी व्रत करने की सलाह दी।
इसके बाद उस ठाकुर ने ऋषि की आज्ञा अनुसार कामिका एकादशी का व्रत किया। उसके व्रत से प्रसन्न होकर भगवान श्रीहरि नारायण ने उसे दर्शन दिए और कहा ठाकुर तुम्हारे सभी पापों का प्रायश्चित हो गया है और अब तुम ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्त हो।
कामिका एकादशी व्रत करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती हैऔर अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है। इसलिए एस कादशी को आध्यात्मिक साधकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह व्रत चेतना से सभी प्रकार की नकारात्मकता को नष्ट करता है और हृदय को दिव्य प्रकाश से भर देता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)