Kartik month 2020: जानिए कार्तिक मास के वे नियम जिनसे होते हैं भगवान विष्णु प्रसन्न
Kartik month 2020: सनातन धर्म में कार्तिक मास का बहुत ही विशेष महत्व बताया गया है। कार्तिक माह में व्रत, तप, जप, दान, स्नान का बहुत ही ज्यादा महत्व है। जोकि शास्त्रों में वर्णित है।;
Kartik month 2020: सनातन धर्म में कार्तिक मास का बहुत ही विशेष महत्व बताया गया है। कार्तिक माह में व्रत, तप, जप, दान, स्नान का बहुत ही ज्यादा महत्व है। जोकि शास्त्रों में वर्णित है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में मनुष्य अगर संयम के साथ रहता है और कुछ विशेष नियमों का पालन करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास में सात नियमों का पालन करना बहुत जरुरी बताया गया है। इन नियमों का पालन करने से मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है। तो आइए आप भी जानें कार्तिक मास के नियमों के बारे में जिनको अपनाना सभी के लिए जरुरी है। और उन नियमों को अपनाकर आप भी श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
धर्मशास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में दीपदान का बहुत ही महत्व है। पुराणों के अनुसार कार्तिक मास में दीपदान करने के महात्म के बारे में स्वयं भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को और ब्रह्मा जी ने नारद जी को और नारद जी ने महाराज प्रथ्यु को बताया है। इसलिए कार्तिक माह में किसी भी नदी अथवा सरोवर, तालाब जहां भी आपको सुलभ हो वहां दीपदान करना चाहिए।
सनातन धर्म में तुलसी पूजा का हुत ही विशेष महत्व बताया गया है। और कार्तिक माह में तुलसी पूजन का महत्व कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। क्योंकि कार्तिक माह भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। और इसलिए कार्तिक माह में नियमित रुप से तुलसी पूजन करना चाहिए। कार्तिक माह में तुलसी दान करने का भी बहुत ही महत्व होता है। अगर आप चाहें तो तुलसी के पौधों का अधिक से अधिक स्थानों पर रोपड़ करें। तुलसी के पौधे लगाने का पुण्य फल भी बहुत ही ज्यादा मिलता है।
कार्तिक माह में भूमि पर शयन करने के नियम को सही माना गया है। भूमि पर शयन करने से मन में सात्विकता बनी रहती है। इसलिए जो भी व्रती अथवा श्रद्धालु कार्तिक माह में व्रत करते हैं, नियमों का पालन करते हैं। उन्हें भूमि पर ही शयन करना चाहिए।
कार्तिक महीने में शरीर पर तेल लगाना वर्जित माना गया है। कार्तिक माह में केवल एक ही दिन नरक चतुर्दशी के दिन ही आप तेल लगा सकते हैं। इसलिए कार्तिक माह में आप शरीर पर तेल ना लगाएं।
कार्तिक मास में दलहन यानि कि किसी भी दालों के सेवन को निषेध माना गया है। कार्तिक माह में उड़द की दाल, मूंग की दाल, मसूर की दाल, मटर, राई आदि चीजों का सेवन आपको बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।
कार्तिक मास व्रत और तप करने का महीना है। इसलिए कार्तिक के महीने में ब्रह्मचर्य के पालन को भी जरुरी बताया गया है। माना जाता है कि अगर पति और पत्नी ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते हैं तो अशुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसलिए ब्रह्मचर्य का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
कार्तिक मास में मन और तन दोनों में संयम रखने के लिए कहा गया है। इसलिए कार्तिक के महीने में अपने मन को ईश्वर की भक्ति में लगाएं। किसी की निन्दा ना करें। किसी को अपशब्द ना बोलें। मन पर नियंत्रण रखें। अगर हो सके तो कम बोलें। क्योंकि कम बोलेंगे तो किसी से विवाद ही नहीं होगा। विवादों से, लड़ाई-झगड़े से कार्तिक मास में आपको बचना चाहिए। ऐसे में आप किसी वाद-विवाद में ना पड़ें। वाद-विवाद से अलग रहकर अपने मन को ईश्वर भक्ति में लीन रखें।
कार्तिक मास में तामसिक भोजन निषेध है। कार्तिक मास शुद्धता और सात्विकता का मास है। कार्तिक मास में हम श्रीहरि की आराधना में रहते हैं इसलिए तामसिक भोजन, मांस-मदिरा, लहसून, प्याज इत्यादि का सेवन करना वर्जित बताया गया है। तो इसलिए जो भी लोग कार्तिक मास के इन नियम का पालन करते हैं वे लोग भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए इन नियमों का त्याग ना करें। ऐसे लोगों को इन नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।