Karwa Chauth 2022: जानें, किस शुभ योग में होगी करवा चौथ की पूजा, ये है पूजन सामग्री लिस्ट
Karwa Chauth 2022: पंचांग के अनुसार, करवा के दिन का आरंभ सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रहा है और इस दिन बुध और शुक्र ग्रह के कन्या राशि में मौजूद रहने के कारण लक्ष्मी-नारायण योग का निर्माण हो रहा है, वहीं पंचांग की मानें तो इस दिन सूर्य और बुध ग्रह मिलकर बुधादित्य योग का भी निर्माण कर रहे हैं।;
Karwa Chauth 2022: पंचांग के अनुसार, करवा चौथ के दिन का आरंभ सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रहा है और इस दिन बुध और शुक्र ग्रह के कन्या राशि में मौजूद रहने के कारण लक्ष्मी-नारायण योग का निर्माण हो रहा है, वहीं पंचांग की मानें तो इस दिन सूर्य और बुध ग्रह मिलकर बुधादित्य योग का भी निर्माण कर रहे हैं। ग्रहों की बात करें तो करवा चौथ के दिन शनि मकर राशि में, गुरू मीन राशि में, बुध ग्रह कन्या राशि में मौजूद रहेंगे। ये राशियां इन तीनों ही ग्रहों की स्वराशि मानी जाती है और वहीं चंद्रदेव अपनी उच्च राशि वृष में विराजमान रहेंगे। इन सभी ग्रहों की इस तरह मौजूदगी से करवा चौथ के दिन बहुत ही शुभ योग का निर्माण हो रहा है। वहीं इस दिन रोहणी नक्षत्र का योग भी बन रहा है और इस नक्षत्र में चंद्रदेव की पूजा शुभफलदायी मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रोहिणी को चंद्रदेव की सबसे प्रिय पत्नी माना जाता है। वहीं करवा चौथ का पूजन विधिपूर्वक करने से वैवाहिक जीवन में शुभता आती है। तो आइए जानते हैं करवा चौथ पूजन की सामग्री और सरल पूजाविधि के बारे में...
करवा चौथ की पूजन सामग्री
करवा चौथ व्रत से पहले ही इस व्रत की समस्त पूजन सामग्री अपने घर ले आएं। जिसमें अर्घ्य देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे आदि पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है।
करवा चौथ पूजाविधि
करवा चौथ का व्रत पूरे दिन निर्जला और निराहार किया जाता है। करवा चौथ के दिन रात्रि में चंद्रमा की पूजा करने का विधान है। करवा चौथ के दिन पूजा करने के लिए पूजास्थल को खड़िया मिट्टी आदि से सजा लें। इसके बाद पूजास्थल पर मां पार्वती की प्रतिमा स्थापना करें और शुभ मुहूर्त में करवा चौथ की पूजा करें। करवा चौथ व्रत में पूजा के दौरान इस व्रत की कथा पढ़ने और सुनने का बहुत महत्व होता है, इसीलिए इस दिन करवा चौथ व्रत की कथा जरूर पढ़ें या सुनें। वहीं करवा चौथ व्रत चांद के निकलने के बाद ही संपन्न होता है।
दीये को पूजास्थल पर जलायें इसके बाद करवा चौथ की पूजा में जल से भरा मिट्टी का टोंटीदार कुल्हड़ यानी करवा, ऊपर दीपक पर रखी विशेष वस्तुएं, श्रंगार की सभी नई वस्तुएं जरूरी होती है। शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय की मिट्टी की मूर्तियों को पाट पर दूब में बिठाएं। बालू या सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर भी सभी देवताओं आवाह्न करें। वहीं कुछ लोग अपने घरों में चांदी के शिव-पार्वती जी की प्रतिमा भी पूजा के लिए रखते हैं।
थाली को सजाकर चांद को रात्रि के दौरान चांद निकले के बाद विधिपूर्वक अर्घ्य दें। चंद्रोदय के बाद आप चंद्रमा और पति का दर्शन करें और करवा के जल से चंद्रमा को अर्घ्य देकर, उसमें थोड़ा जल बचा लें औ पति के हाथ से उस जल को पिएं। उसके बाद परिवार के बड़े लोगों और पति के पैर छुएं और उनका आशीर्वाद लें। तथा परिजनों को भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन ग्रहण करें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)