Janmashtami 2023: कई साल बाद इस जन्माष्टमी पर बन रहा दुर्लभ संयोग, जान लें बाल गोपाल की कैसे करें पूजा

Janmashtami 2023: जन्माष्टमी का पर्व इस साल 7 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन कई सालों बाद दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जो बेहद ही शुभ माना जा रहा है। तो आइये इस खबर में जानते हैं कि जन्माष्टमी पर कौन से शुभ संयोग बन रहे हैं।;

Update: 2023-08-02 07:51 GMT

Janmashtami 2023 Kab hai: सनातन धर्म में हर एक पर्व का अपना-अपना महत्व होता है। धार्मिक देश कहे जाने वाले भारत देश में जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक साल जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था। पंचांग के अनुसार, इस साल जन्माष्टमी का पर्व 7 सितंबर 2023 दिन गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। ज्योतिषियों का कहना है कि इस साल के जन्माष्टमी पर बेहद ही शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से कई गुना ज्यादा लाभ की प्राप्ति हो सकती है। तो आइये जानते हैं उन दुर्लभ संयोगों के बारे में...

पंचांग के अनुसार, इस साल जन्माष्टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाएगी। अष्टमी की शुरुआत 6 सितंबर 2023 की दोपहर 3 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी और 7 सितंबर 2023 की शाम 4 बजकर 14 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चूंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि को हुआ था इसलिए जन्माष्टमी का पर्व रात को मनाया जाता है। यही कारण है कि इस साल की जन्माष्टमी तिथि 7 सितंबर को मनाई जाएगी।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि के 12 बजे हुआ था, उस समय भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और नक्षत्र रोहिणी था। पंचांग के अनुसार, इस साल भी ऐसा ही दुर्लभ संयोग कई सालों बाद बन रहा है।

जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण को ऐसे करें पूजा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। इस दिन बाल गोपाल का श्रृंगार किया जाता है साथ ही विधि-विधान से पूजा की जाती है। बाल गोपाल के लिए पालना सजाया जाता है और उनको धीरे-धीरे झुलाया जाता है। इस दिन बाल गोपाल को दूध और गंगाजल से अभिषेक कर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। साथ ही मोर पंख वाला मुकुट, बांसुरी, चंदन, वैजयंती की माला से श्रृंगार किया जाता है। उनका श्रृंगार करने के बाद तुलसी दल, फल, मक्खन, मिश्री और मिठाई मेवे का आदि का भोग लगाया जाता है। उसके बाद दीप-धूप आदि दिखाकर आरती की जाती है। अंत में सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया जाता है। 

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Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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