Pitru Paksha 2022: पितृदोष से मुक्ति दिलाते हैं ये उपाय, प्रयोग से पहले जान लें ये महत्वपूर्ण बात
Pitru Paksha 2022: लाल किताब के अनुसार, पितृ दाष और पितृ ऋण से पीड़ित कुण्डली शापित कुण्डली कही जाती है। ऐसा व्यक्ति अपने मातृ पक्ष अर्थात माता के अतिरिक्त मामा-मामी, मौसा-मौसी, नाना-नानी तथा पितृ पक्ष अर्थात दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई आदि लोगों को कष्ट और दुख देता है और उनकी अवहेलना और तिरस्कार करता है।;
Pitru Paksha 2022: लाल किताब के अनुसार, पितृ दाष (Pitru Dosh) और पितृ ऋण से पीड़ित कुण्डली शापित कुण्डली कही जाती है। ऐसा व्यक्ति अपने मातृ पक्ष अर्थात माता के अतिरिक्त मामा-मामी, मौसा-मौसी, नाना-नानी तथा पितृ पक्ष अर्थात दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई आदि लोगों को कष्ट और दुख देता है और उनकी अवहेलना और तिरस्कार करता है। ज्योतिष के अनुसार, पितृ दोष के कारण मांगलिक कार्य रूक जाते हैं। किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिलती और कई बार मृत्यु तुल्य कष्ट होता है। तो आइए जानते हैं ऐसी ही पितृ दोष से मुक्ति पाने के मुख्य पांच उपायों के बारे में...
पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए आप अपने कुल-धर्म की परंपरा को निभाएं और घर की महिलाओं का सम्मान करें। तथा अपने कर्म को शुद्ध रखें, तो ये उपाय अचूक और प्रभावी सिद्ध होंगे, अन्यथा नहीं।
परिवार के सभी सदस्यों की बराबर संख्या की मात्रा में सिक्के एकत्रित करके उन्हें मंदिर में दान करें। इस उपाय को आप पांच गुरुवार को लगातार करें। ध्यान रखें कि, यदि आप अपनी जेब से दस रुपये का सिक्का ले रहे हैं तो घर के अन्य सभी लोगों से दस-दस रुपये के सिक्के ही एकत्रित करें और उन्हें मंदिर में दान कर देंगे। वहीं अगर आपके परिवार में आपके दादाजी हैं तो आप उनके साथ मंदिर जाकर ही ये सिक्के दान करें।
वहीं कपूर जलाने से देवदोष और पितृदोष से मुक्ति मिलती है। प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कपूर जरुर जलानी चाहिए। वहीं कपूर को घी में डूबोकर जलाएं और कभी-कभी गुड़ के साथ मिलाकर भी जलाएं।
कौआ, चिड़िया, कुत्ते और गाय को प्रतिदिन रोटी खिलाते रहना चाहिए। इन चारों में से जो भी समय पर मिल जाए उसे रोटी जरुर खिलाते रहें।
वहीं पीपल और बरगद के वृक्ष में जल चढ़ाते रहना चाहिए और वहीं माथे पर केसर का तिलक लगाते रहना चाहिए।
विष्णु भगवान का मंत्र जाप, श्रीमद्भागवत गीता आदि का पाठ करने से भी पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है।
वहीं एकादशी का व्रत पूर्ण नियमों का पालन करते हुए रखना चाहिए।
दक्षिण मुखी मकान में कदापि नहीं रहना चाहिए। यदि दक्षिण मुखी, नेत्रत्य कोण या आग्नेय कोण में मकान है तो मकान के सामने थोड़ी दूरी पर नीम का पेड़ लगा दें और उसकी सेवा करें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)