गरुण पुराण का श्रवण और अनुसरण जीवित ही क्यों करना चाहिए, आप भी जाने
गरुण पुराण को धर्मशास्त्रों में पाप और पुण्य की विवेचना करने वाला ग्रन्थ बताया गया है। गरुड़ पुराण का श्रवण लोग किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात मृतक व्यक्ति की आत्मा की मुक्ति के लिए करते हैं। जबकि श्रीराम कथा वाचक पंडित उमाशंकर भारद्वाज जी के अनुसार अगर इस ग्रन्थ का श्रवण के साथ अनुसरण भी किया जाए तो जीव की स्वतः ही मुक्ति हो जाती है। मुत्यु के पश्चात फिर गरुण पुराण का पाठ कराने की आवश्यकता नहीं होती।;
गरुण पुराण को धर्मशास्त्रों में पाप और पुण्य की विवेचना करने वाला ग्रन्थ बताया गया है। गरुड़ पुराण का श्रवण लोग किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात मृतक व्यक्ति की आत्मा की मुक्ति के लिए करते हैं। जबकि श्रीराम कथा वाचक पंडित उमाशंकर भारद्वाज जी के अनुसार अगर इस ग्रन्थ का श्रवण के साथ अनुसरण भी किया जाए तो जीव की स्वतः ही मुक्ति हो जाती है। मुत्यु के पश्चात फिर गरुण पुराण का पाठ कराने की आवश्यकता नहीं होती।
गरुड़ पुराण में व्यवहारिक जीवन के ऐसे कई गलत काम या विचार बताए गए हैं, जिन्हें पाप माना जाता है। ये विचार और स्वभाव आदत में इस तरह समा जाते हैं कि उन्हें बार-बार दोहराने पर भी गलती का एहसास नहीं होता। वजह यह भी है कि धर्म के नजरिए से कोई भी व्यक्ति पाप से अछूता नहीं, क्योंकि जीवन में हर व्यक्ति से कोई न कोई पाप जरूर करता है।
क्या है गरुण पुराण
एक बार गरुड़ ने भगवान विष्णु से मृत्यु के बाद प्राणियों की स्थिति, जीव की यमलोक-यात्रा, विभिन्न कर्मों से प्राप्त होने वाले नरकों, योनियों तथा पापियों की दुर्गति से संबंधित अनेक गूढ़ एवं रहस्ययुक्त प्रश्न पूछे। उस समय भगवान विष्णु ने गरुड़ की जिज्ञासा शांत करते हुए उन्हें जो ज्ञानमय उपदेश दिया था, उसी उपदेश का इस पुराण में विस्तृत विवेचन किया गया है। गरुड़ के माध्यम से ही भगवान विष्णु की श्रीमुख से मृत्यु के उपरांत के गूढ़ तथा परम कल्याणकारी वचन प्रकट हुए थे, इसलिए इस पुराण को 'गरुड़ पुराण'कहा गया है।
कुछ लोग पाप जानकर करते हैं तो कुछ लोगों से पाप अनजाने में हो जाता है, लेकिन पाप के नतीजे हमेशा भोगने पड़ते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, स्त्री से जुड़ी कुछ ऐसी बातें, जिन्हें गरुड़ पुराण में पाप और इन्हें करने या सोचने वाले को पापी माना गया है।
हर इंसान की जिंदगी में कई तरह समय आते हैं। लेकिन ये अटल सत्य है कि हर किसी का एक दिन मरना तय है। अब सवाल यहां ये है कि आखिर इंसान की मृत्यु के बाद क्या होता है? इस बात को लेकर हर किसी में अलग-अलग धारणाएं बनी हुई है लेकिन मृत्यु के बाद क्या होता है इसकी सच्चाई बहुत पहले हीं बताई जा चुकी है, जिससे कि हर कोई इस सच्चाई को जान सके।
गरुड़ पुराण के अधिष्ठाता स्वयं भगवान विष्णु जी हैं। और इसी पुराण में मृत्यु के बाद के बारे में सारी बातें बताई गई है। जब किसी भी जीव-जंतु की मृत्यु होती है तो उसके बाद आत्मा का क्या होता है और नर्क के बारे में सारी बातें विस्तृत रूप से बताई गई है। गरुड़ पुराण दो भागों में है। पहले भाग में 19,000 श्लोक थे। लेकिन अब सिर्फ 7,000 श्लोक हीं बचे हुए हैं जिसमें भगवान श्री विष्णु जी की भक्ति और उनके रूपों का वर्णन विस्तृत रुप से किया गया है। और प्रेत कल्प और कई तरह के नर्क को विस्तृत रुप से बताया गया है। साथ हीं मुक्ति के मार्ग के बारे में और मुक्ति कैसे पाई जाए, पिंड दान और श्राद्ध किस तरह से किया जाना चाहिए, इस बारे में पूरी जानकारी गरुड़ पुराण में दी गई है।
आत्मा को यमलोक ले जाने के बाद पापी को काफी यातनाएं झेलनी पड़ती है। इसके बाद यमराज के कहे अनुसार उसे आकाश मार्ग से घर पहुंचा दिया जाता है। पापी आत्मा को यमदूत के पाश से मुक्ति नहीं मिल पाती है।
पिंडदान के बाद भी जीवात्मा को तृप्ति नहीं मिल पाती है। भूख-प्यास से बेचैन वो आत्मा दुबारा यमलोक आ जाती है। उस आत्मा के वंशज जब तक पिंडदान नहीं कर देते तब तक वो आत्मा दुखी होकर हीं घूमती रह जाती है।
काफी समय तक यातनाएं झेलने के बाद विभिन्न योनियों में उसे नया शरीर मिलता रहता है। इसलिए जब किसी मनुष्य की मृत्यु होती है तो लगातार 10 दिनों तक पिंडदान निश्चित रुप से करना चाहिए। दसवें दिन के पिंडदान से सूक्ष्म शरीर को चलने-फिरने की शक्ति मिल जाती है। मृत्यु के 13 वें दिन दुबारा से यमदूत उस आत्मा को ले जाते हैं। और फिर शुरू होती है वैतरणी नदी की यात्रा। वैतरणी नदी को पार करने के लिए पूरे 47 दिन लग जाते हैं। उसके बाद हीं जीवात्मा यमलोक पहुंचती है।