Mahalaxmi Vrat Date 2020 : महालक्ष्मी व्रत 2020 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा

Mahalaxmi Vrat Date 2020 : महालक्ष्मी व्रत पर देवी लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। यह व्रत सोलह दिनों तक रखा जाता है। जिसमें दोनो समय माता लक्ष्मी की पूजा करना और चंद्रमा को अर्घ्य देना आवश्यक है। शास्त्रों के अनुसार जो भी व्यक्ति महालक्ष्मी व्रत रखता है उसे जीवन में किसी भी प्रकार की कोई कमीं नही होती तो चलिए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत 2020 में कब है (Mahalaxmi Vrat 2020 Mein Kab Hai), महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त (Mahalaxmi Vrat Shubh Muhurat),महालक्ष्मी व्रत का महत्व (Mahalaxmi Vrat Importance), महलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि (Mahalaxmi Vrat Puja Vidhi) और महालक्ष्मी व्रत की कथा (Mahalaxmi Vrat Story);

Update: 2020-08-17 14:33 GMT

Mahalaxmi Vrat Date 2020 : महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष से शुरू होता है और इसकी समाप्ति अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होती है। सोलह दिनों के इन व्रतों में जो भी व्यक्ति मां लक्ष्मी की सुबह और शाम पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना करता है। उसके जीवन में धन, संपदा, सुख और समृद्धि की कोई कमीं नही रहती तो चलिए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत 2020 में कब है, महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त,महालक्ष्मी व्रत का महत्व, महलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि और महालक्ष्मी व्रत की कथा।


महालक्ष्मी व्रत 2020 तिथि (Mahalaxmi Vrat 2020 Tithi)

महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ -25 अगस्त 2020

महालक्ष्मी व्रत समाप्ति - 10 सितंबर 2020

महलक्ष्मी व्रत 2020 शुभ मुहूर्त (Mahalaxmi Vrat 2020 Shubh Muhurat)

अष्टमी तिथि प्रारम्भ - रात 12 बजकर 21 मिनट से (25 अगस्त 2020)

अष्टमी तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 10 बजकर 39 मिनट तक (26 अगस्त 2020)

चन्द्रोदय समय - रात 12 बजकर 23 मिनट

महालक्ष्मी व्रत का महत्व (Mahalaxmi Vrat Ka Mahatva)

महालक्ष्मी व्रत के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष से शुरू होता है और इसकी समाप्ति अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि होती है। सोलह दिनों तक किए जाने वाले इस व्रत में शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। सोलह दिन के इस व्रत में अन्न को ग्रहण नहीं किया जाता है और जब यह व्रत पूर्ण हो जाए तो इसका उद्यापन करना भी आवश्यक है।

लेकिन यदि कोई व्यक्ति सोलह दिनों के नियमों को पूर्ण नहीं कर सकता तो वह अपने सामर्थ्य के अनुसार कम दिनों के व्रत कर सकता है और मां लक्ष्मी का आर्शीवाद प्राप्त कर सकता है। शास्त्रों में इस व्रत की बहुत अधिक महत्वता बताई गई है। यदि कोई स्त्री इस व्रत को करती है तो उसे धन, धान्य, सुख, समृद्धि, संतान आदि सभी चीजों की प्राप्ति होती है और यदि कोई पुरुष इस व्रत को करता है तो उसे धन, सपंदा,नौकरी, व्यापार आदि सभी चीजों में तरक्की मिलती है।


महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि (Mahalaxmi Vrat Puja Vidhi)

1.महालक्ष्मी व्रत करने वाले साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद लाल वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. इसके बाद चावल का घोल बनाकर पूजा स्थान पर मां लक्ष्मी के चरण बनाने चाहिए।

3.माता लक्ष्मी के चरण बनाने के बाद चौकी को आम के पत्तों से सजाएं

4. मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करने के बाद अपनी कलाई पर 16 गांठ लगाकर एक धागा बांधे।

5. इसके बाद माता लक्ष्मी की गज लक्ष्मी प्रतिमा चौकी पर स्थापित करें और कलश की स्थापना भी करें।

6. कलश की स्थापना करने के बाद पहले गणेश जी की पूजा करें उन्हें दूर्वा अर्पित करें और उनकी विधिवत पूजा करें।

7. इसके बाद माता लक्ष्मी को पुष्प माला, नैवेध, अक्षत,सोना या चाँदी आदि सभी चीजें अर्पित करें।

8.यह सभी चीजें अर्पित करने के बाद महालक्ष्मी व्रत की कथा पढ़ें या सुने।

9. इसके बाद माता लक्ष्मी की आरती उतारें और उन्हें खीर का भोग लगाएं। इसी प्रकार शाम के समय भी पूजा करें।

10.पूजा के बाद एक दीपक माता लक्ष्मी के आगमन के लिए घर के बाहर भी जलाएं और शाम की पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य अवश्य दें।


महलक्ष्मी व्रत की कथा (Mahalaxmi Vrat Story)

पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर मे एक गरीब ब्राह्मण रहा करता था। वह ब्राह्मण भगवान विष्णु का बहुत ही बड़ा भक्त था और पूरे विधि- विधान से उनकी पूजा किया करता था। भगवान विष्णु भी अपने भक्त से बहुत से प्रसन्न रहते थे। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और उससे वरदान मांगने के लिए कहा। उस ब्राह्मण ने भगवान विष्णु से अपने घर में लक्ष्मी जी के निवास की इच्छा जाहिर की। ब्राह्मण की बात सुनकर भगवान विष्णु ने उसे लक्ष्मी प्राप्ति का मार्ग बताया। विष्णु जी ने कहां कि मंदिर के सामने रोज एक वृद्ध स्त्री आती है जो वहां पर उपले थापती हैं, तुम जाकर उस स्त्री को अपने घर आने के लिए आमंत्रित करो। वह स्त्री कोई और नही बल्कि देवी लक्ष्मी ही है।

अगर वह स्त्री तुम्हारे घर में आ गई तो तुम्हारा घर धन और धान्य से भर जाएगा। यह कहकर विष्णु जी अंर्तध्यान हो गए। इसके बाद वह ब्राह्मण दूसरे दिन सुबह 4 बजे ही मंदिर के द्वार पर जाकर बैठ गया। जैसे ही वह वृद्ध स्त्री उपले थापने के लिए मंदिर आई तो उस ब्राह्मण ने विष्णु जी के कहे अनुसार उस वृद्ध स्त्री को अपने घर आने का निमंत्रण दे दिया। जब ब्राह्मण ने माता लक्ष्मी को घर आने को कहा तो वह समझ गई की ऐसा करने के लिए उसे भगवान विष्णु ने ही कहा है। इसके बाद लक्ष्मी जी ने कहा कि तुम महालक्ष्मी व्रत करो,यह व्रत 16 दिनों तक किया जाता है और इसमें 16 रातों तक चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है।

ऐसा करने से तुम्हारी इच्छा जल्द ही पूर्ण हो जाएगी। उस ब्राह्मण ने माता लक्ष्मी के कहे अनुसार महालक्ष्मी व्रत किया और उत्तर दिशा में मुख करके लक्ष्मी जी को पुकारा,इसके बाद लक्ष्मी जी ने भी अपना वचन पूर्ण किया। 

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