Mahashivratri 2023 Special: जानें रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का धार्मिक महत्व, बड़ी से बड़ी मनोकामना शिव कर देते हैं पूरी

भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित रामनाथ स्वामी मंदिर है। इसका जिक्र रामायण में है। यहां रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग है।;

Update: 2023-02-09 03:35 GMT

Mahashivratri 2023 Special: महाशिवरात्रि का त्योहार आने ही वाला है। भगवान शिव के भक्त इस दिन का बहुत ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। 18 फरवरी 2023 को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि पर स्पेशल स्टोरी लेकर आए हैं। यहां हम आपको भगवान शिव के सबसे पवित्र धाम की बात कर रहे हैं। भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित रामनाथ स्वामी मंदिर है। इसका जिक्र रामायण में है।

जानें रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का क्या है धार्मिक महत्व

शिव का यह पवित्र धाम हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी के शंख जैसे द्वीप पर स्थित है। जहां लोग एक पुल के जरिए पहुंचते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, रामेश्वरम शिवलिंग की स्थापना रामायण काल में की गई थी। इसे माता सीता ने बनवाया था। वहीं भगवान राम ने इसकी पूजा की थी। आखिर ये स्थान इतना पवित्र क्यों है। कहते हैं कि रामायण काल में भगवान राम ने लंका पर विजय की कामना से यहां बालू का शिवलिंग बनाकर शिव की पूजा की थी।

24 कुओं में स्नान से दूर हो जाते हैं सारे दोष

रावण के वध के बाद जब भगवान श्री राम को ब्रह्महत्या का श्राप मिला था। तब भगवान श्री राम ने माता जानकी के साथ एक बार फिर लौटते समय विधि-विधान से अभिषेक किया था। हिंदू मान्यता के अनुसार, जो मनुष्य इस शिवलिंग पर महादेव की विधि-विधान से पूजा करता है। उसके जीवन से जुड़े सभी दुख, परेशानी दूर हो जाती हैं। कोई भी मनोकामना हो वह पूरी हो जाती है। इसकी सबसे बड़ी महानता ये है कि यहां पर 24 कुओं का जल सभी दोषों को दूर करता है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर 24 कुए हैं, इन सभी को भगवान राम ने बनवाया था। इन सभी कुओं के जल से स्नान करना बड़ा ही शुभ माना जाता है। स्नान करने से सभी दोष दूर हो जाते हैं।  

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