Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति से बदलता है वातावरण, जानें इसका ये महत्व और खिचड़ी के फायदे

Makar Sankranti 2022: हिन्दू सनातन धर्म में सभी पर्व और त्यौहारों के मनाने के पीछे कोई ना कोई लॉजिक जरुर होता है। उस पर्व से जुड़ी मान्यताएं होती है और कुछ धार्मिक आस्था तथा खान-पान का रहस्य भी जुड़ा होता है। वहीं ऐसे में अब मकर संक्रांति का पर्व आने वाला है और मकर के पर्व से वातावरण में कुछ परिवर्तन होने लगते हैं और वहीं इस दिन खिचड़ी बनाने और उसका सेवन करने की भी परंपरा है।;

Update: 2022-01-09 09:30 GMT

Makar Sankranti 2022: हिन्दू सनातन धर्म में सभी पर्व और त्यौहारों के मनाने के पीछे कोई ना कोई लॉजिक जरुर होता है। उस पर्व से जुड़ी मान्यताएं होती है और कुछ धार्मिक आस्था तथा खान-पान का रहस्य भी जुड़ा होता है। वहीं ऐसे में अब मकर संक्रांति का पर्व आने वाला है और मकर के पर्व से वातावरण में कुछ परिवर्तन होने लगते हैं और वहीं इस दिन खिचड़ी बनाने और उसका सेवन करने की भी परंपरा है। तो आइए जानते हैं मकर संक्रांति पर क्या बनायी जाती है खिचड़ी और इस दौरान वातावरण में क्या बदलाव होते हैं।

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खिचड़ी के फायदे

मकर संक्रांति के दिन प्रसाद के रूप में खाए जाने वाली खिचड़ी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। खिचड़ी से पाचन क्रिया सुचारु रूप से चलने लगती है। इसके अलावा आगर खिचड़ी मटर और अदरक मिलाकर बनाएं तो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है साथ ही बैक्टिरिया से भी लड़ने में मदद करती है।

मकर संक्रांति से बदलता है वातावरण

मकर संक्रांति के बाद नदियों में वाष्पन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिससे कई सारी शरीर के अंदर की बीमारियां दूर हो जाती हैं। इस मौसम में तिल और गुड़ खाना काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर को गर्म रखता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तारायण में सूर्य के ताप शीत को कम करता है।

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति के दिन गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति पर्व के दिन तिल-गुड़ और खिचड़ी खाना शुभ होता है। देश के कुछ राज्यों में यह भी मान्यता है कि चावल, दाल और खिचड़ी का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करना भी बहुत फलदायी माना जाता है। महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह ने भी प्राण त्यागने के लिए इस समय अर्थात सूर्य के उत्तरायण होने तक प्रतीक्षा की थी।

सूर्योदय के बाद खिचड़ी आदि बनाकर तिल के गुड़वाले लडडू प्रथम सूर्यनारायण को अर्पित करना चाहिए बाद में दानादि करना चाहिए। अपने नहाने के जल में तिल डालने चाहिए। ओम नमो भगवते सूर्याय नमः या ओम सूर्याय नमः का जाप करें। माघ माहात्म्य का पाठ भी कल्याणकारी है। सूर्य उपासना कल्याण कारी होती है। इस दिन सूर्य को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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