Makar Sankranti 2023 : मकर संक्रांति कब है, जानें तिथि, पूजा और महापुण्य काल का शुभ मुहूर्त

Makar Sankranti 2023 : मकर संक्रांति का पर्व साल 2023 में कब है। मकर संक्रांति के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या होगा। वहीं इस दिन पूजा की विधि क्या रहेगी। वहीं मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए। वहीं मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान और पुण्य आदि करने का महत्व क्या होता है। तो आइए जानते हैं मकर संक्रांति से जुड़ी सभी बातों के बारे में...;

Update: 2022-11-26 06:04 GMT

Makar Sankranti 2023 : मकर संक्रांति का पर्व साल 2023 में कब है। मकर संक्रांति के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या होगा। वहीं इस दिन पूजा की विधि क्या रहेगी। वहीं मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए। वहीं मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान और पुण्य आदि करने का महत्व क्या होता है। तो आइए जानते हैं मकर संक्रांति से जुड़ी सभी बातों के बारे में...

मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त 2023

मकर संक्रांति तिथि और वार 

15 जनवरी 2023, दिन रविवार

पूजा का शुभ मुहूर्त 

सुबह 07:15 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक

पूजा की अवधि

04 घंटा 45 मिनट

महापुण्य काल पूजा मुहूर्त 

सुबह 07:15 बजे से सुबह 09:15 बजे तक

महापुण्य काल की अवधि 

02 घंटा

मकर संक्रांति हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। वहीं कुछ स्थानों पर इस त्योहार को खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन किसी भी पवित्र नदी अथवा कुंड में स्नान-दान करने का बहुत महत्व होता है।

मकर संक्रांति के दिन अपने पितरों को याद करते हुए उनका तर्पण आदि किया जाता है। वहीं मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ से बने लड्डु और अन्य कई मीठे पकवान बनाए जाते हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन मीठा खाने से मनुष्य की वाणी और व्यवहार में मधुरता आती है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में खुशियों का संचार होता है।

वहीं मकर संक्रांति के दिन सूर्यनारायण के पुत्र भगवान शनिदेव के घर पहुंचने पर तिल और गुड़ की बनी मिठाईयां बांटी जाती हैं। तिल और गुड़ की मिठाई के अलावा मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की भी परंपरा है। इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा समेत सभी पावन नदियों और सरोवरों में स्नान करते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि जो मनुष्य मकर संक्रांति के दिन देह का त्याग करता है, वह मोक्ष को प्राप्त करता है। वहीं ऐसा व्यक्ति भगवान विष्णु के लोक को जाता है और साथ ही वह जीवन-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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