Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति का पर्व देश के लिए रहेगा बहुत शुभ, जानें गायत्री और सूर्य आराधना का महत्व

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति पर सूर्य की पूजा, नदियों में स्नान, देव दर्शन और दान से विशेष पुण्य फल मिलता है। वहीं ज्योतिष की मानें तो इस संक्रांति का वाहन बाघ और उप वाहन घोड़ा होने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का पराक्रम बढ़ सकता है और दूसरे देशों से भारत के संबंध और अधिक मजबूत हो सकते हैं। विद्वान और शिक्षित लोगों के लिए ये संक्रांति शुभ रहेगी। लेकिन अन्य कुछ लोगों में डर बढ़ सकता है।;

Update: 2022-01-13 05:24 GMT

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति पर सूर्य की पूजा, नदियों में स्नान, देव दर्शन और दान से विशेष पुण्य फल मिलता है। वहीं ज्योतिष की मानें तो इस संक्रांति का वाहन बाघ और उप वाहन घोड़ा होने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का पराक्रम बढ़ सकता है और दूसरे देशों से भारत के संबंध और अधिक मजबूत हो सकते हैं। विद्वान और शिक्षित लोगों के लिए ये संक्रांति शुभ रहेगी। लेकिन अन्य कुछ लोगों में डर बढ़ सकता है। अनाज बढ़ेगा और महंगाई पर नियंत्रण भी रहेगा। चीजों की कीमतें सामान्य रहेंगी। तो आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास और ज्योतिषाचार्य शुबेष शर्मन के द्वारा मकर संक्रांति के दिन गायत्री आराधना और सूर्य पूजा के महत्व के बारे में...

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मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति तिथि 

शुक्रवार, 14 जनवरी

मकर संक्रांति पुण्य काल 

दोपहर 02:43 से शाम 05:45 बजे तक

मकर संक्रांति महा पुण्य काल 

दोपहर 02:43 से 04:28 तक

माता गायत्री की आराधना

ज्योतिषाचार्य शुबेश शर्मन ने बताया कि मकर संक्रांति को तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और देवताओं का प्रात:काल भी शुरू होता है। सत्यव्रत भीष्म ने भी बाणों की शैय्या पर रहकर मृत्यु के लिए मकर संक्रांति की प्रतीक्षा की थी। मान्यता है कि उत्तरायण सूर्य में मृत्यु होने के बाद मोक्ष मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसी दिन से प्रयाग में कल्पवास भी शुरू होता है। धर्म ग्रंथों में माता गायत्री की उपासना के लिए इससे अच्छा और कोई समय नहीं बताया है।

दान करने से शुभ फल की प्राप्ति

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार संक्रांति देवी के हाथ में कंगन, जटी फूल, गदा और खीर रहेगी। ये भोग की अवस्था में रहेगी। इससे संकेत मिलता है कि देवी आराधना से फायदा होगा। इस साल राजनीतिक हलचल तेज होगी। तिल, गुड़ और कपड़ों का दान करने से अशुभ ग्रहों का बुरा असर कम होगा। गरीब और असहाय लोगों को गर्म कपड़े का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस माह में लाल और पीले रंग के वस्त्र धारण करने से भाग्य में वृद्धि होती है। माह के रविवार के दिन तांबे के बर्तन में जल भर कर उसमें गुड़, लाल चंदन से सूर्य को अर्ध्य देने से पद सम्मान में वृद्धि होने के साथ शरीर में सकारात्मक शक्तियों का विकास होता है। साथ ही आध्यात्मिक शक्तियों का भी विकास होता है।

सूर्य की आराधना मंगलकारी

ज्योतिषाचार्य शुबेश शर्मन ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह का अपना महत्व रहा है। पौष माह हिंदू पंचांग के अनुसार 10वां महीना होता है। इसी माह में मकर संक्रांति का पर्व भी मनाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा पर चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है जिसके कारण ठंड अधिक बढऩे के साथ इस मास को पौष अर्थात पूस माह भी कहा जाता है। यही माह भगवान सूर्य और विष्णु की उपासना के लिए श्रेयकर होता है। पौष माह में भगवान सूर्य की उपासना करने से आयु व ओज में वृद्धि होने के साथ स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। सूर्य की उपासना का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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