Mangala Gauri Vrat 2021 : सावन का पहला मंगला गौरी व्रत आज, अखंड सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए सुनें ये पवित्र कथा

  • सावन माह हिन्दू धर्म में बहुत महत्व रखता है।
  • सावन माह में भगवान शिव और गौरी माता पृथ्वी लोक में भ्रमण करने के लिए आते हैं।
  • गौरी माता की पूजा करने से सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य और संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है।
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Update: 2021-07-27 03:15 GMT

Mangala Gauri Vrat 2021 : सावन माह हिन्दू धर्म में बहुत महत्व रखता है और वहीं 25 जुलाई 2021, दिन रविवार से पवित्र सावन माह की शुरुआत हो चुकी है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव और गौरी माता पृथ्वी लोक में भ्रमण करने के लिए आते हैं। वहीं सावन माह में सोमवार के दिन भगवान शिव और मंगलवार के दिन गौरी माता की पूजा करने का विधान है। मंगलवार के दिन गौरी माता की पूजा करने से सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य और संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है और वहीं कुंवारी कन्याओं को इस व्रत के प्रभाव से मनावांछित वर की प्राप्ति होती है। सावन के पवित्र महीने में मंगलवार के दिन विधि विधान से व्रत रखकर मंगला गौरी की व्रत कथा का पाठ और श्रवण करने से अनेक प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं मंगला गौरी की कथा के बारे में...

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मंगला गौरी व्रत कथा (Mangala Gauri Vrat katha)

पौराणिक काल में किसी प्रसिद्ध शहर में धर्मपाल नाम का एक सेठ रहता था। धर्मपाल सेठ और उसकी पत्नी सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे। सेठ के घर में धन, धान्य की किसी प्रकार से कोई कमी नहीं थी। सेठ को सभी सुख की प्राप्ति थी, मगर उसके घर में संतान नहीं थी। संतान न होने के कारण वह बहुत दुखी रहता था। सेठ दंपति के मन में उनके वंश को आगे बढ़ाने वाला कोई न होने के कारण बहुत चिंता रहती थी।

अनेक प्रकार से जप-तप और पूजा-पाठ आदि धर्मकार्य करने के बाद उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति तो हो गई, लेकिन उस काल के ज्योतिषियों ने सेठ को सावधान कर दिया और बताया कि उनका पुत्र अल्पायु है। जिसकी बहुत कम ही उम्र में, यानी 17 साल की उम्र में ही उसकी मृत्यु हो जाएगी। इस राज को जानकर सेठ धर्मपाल और उनकी पत्नी और भी दुखी हो गए थे। हालांकि दोनों दंपत्ति ने इसे ही अपना और पुत्र का भाग्य मान लिया था।

संयोगवश सेठ के लड़के की शादी एक सुंदर और संस्कारी युवती से हो गई। वहीं सेठ की पुत्रवधु और उसकी समधिन दोनों ही मंगला गौरी का व्रत करती थी और माता पार्वती की विधिवत पूजन करती थी। इसी कारण सेठ की पुत्रपधु को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त हो गया और उसी के कारण सेठ के पुत्र की मृत्‍यु टल गई। लड़के की सास के अर्जित फल से यह संभव हो सका। मां मंगला गौरा की कृपा से यह चमत्कार हो सका।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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