Margashirsh Mass 2021: मार्गशीर्ष मास में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश, जानें इस माह का ये विशेष महत्व

Margashirsh Mass 2021: हिन्दू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास हिन्दू वर्ष का नौवां महीना होता है। पौराणिक मान्यता है कि इसी परम पवित्र मास में भगवान श्रीकृष्ण ने महारथी अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। वहीं शास्त्रों में मार्गशीर्ष मास का बहुत विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि संपूर्ण मासों में मार्गशीर्ष मास भगवान का ही स्वरुप होता है। इसीलिए इस कल्याणकारी मास में अधिक से अधिक दान-पुण्य और धर्म के कार्य करने चाहिए। तो आइए जानते हैं मार्गशीर्ष मास के महत्व के बारे में...;

Update: 2021-11-23 03:15 GMT

Margashirsh Mass 2021: हिन्दू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास हिन्दू वर्ष का नौवां महीना होता है। पौराणिक मान्यता है कि इसी परम पवित्र मास में भगवान श्रीकृष्ण ने महारथी अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। वहीं शास्त्रों में मार्गशीर्ष मास का बहुत विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि संपूर्ण मासों में मार्गशीर्ष मास भगवान का ही स्वरुप होता है। इसीलिए इस कल्याणकारी मास में अधिक से अधिक दान-पुण्य और धर्म के कार्य करने चाहिए। तो आइए जानते हैं मार्गशीर्ष मास के महत्व के बारे में...

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मार्गशीर्ष मास का महत्व

भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा था कि सभी माह में मार्गशीर्ष या अगहन श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। मार्गशीर्ष मास में श्रद्धा और भक्ति से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस माह में नदी स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था उपदेश

कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि मार्गशीर्ष मास भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है। भक्तवत्सल भगवान ने स्वयं अपनी वाणी से कहा है कि मार्गशीर्ष मास स्वयं मेरा ही स्वरूप है। इस पवित्र माह में तीर्थाटन और नदी स्नान से पापों का नाश होने के साथ मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। मार्गशीर्ष की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में धनुर्धारी अर्जुन को गीता का उपदेश सुनाया था। इस माह में गीता का दान भी शुभ माना जाता है। गीता के एक श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण मार्गशीर्ष मास की महिमा बताते हुए कहते हैं।

बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्।

मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः।।

इसका अर्थ है गायन करने योग्य श्रुतियों में मैं बृहत्साम, छंदों में गायत्री तथा मास में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में बसंत हूं। शास्त्रों में मार्गशीर्ष का महत्व बताते हुए कहा गया है कि हिन्दू पंचांग के इस पवित्र मास में गंगा, युमना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से रोग, दोष और पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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