Margashirsha Purnima 2021: मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर बन रहा ये अक्षय पुण्यदायी योग, जानें पूजाविधि और इसका महत्व

Margashirsha Purnima 2021: सनातन धर्म के अनुसार मार्गशीर्ष मास (Margashirsha mass) का बहुत अधिक महत्व होता है। मार्गशीर्ष के पवित्र माह में दान-पुण्य और धार्मिक कार्यों का व्यक्ति को विशेष फल प्राप्त होता है।;

Update: 2021-12-17 02:13 GMT

Margashirsha Purnima 2021: सनातन धर्म के अनुसार मार्गशीर्ष मास (Margashirsha mass) का बहुत अधिक महत्व होता है। मार्गशीर्ष के पवित्र माह में दान-पुण्य और धार्मिक कार्यों का व्यक्ति को विशेष फल प्राप्त होता है। इस मास में ही भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने अर्जुन (Arjun) को गीता (Geeta) का महत्व (Importance) के बारे में बताया था। तो आइए जानते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा डेट (Margashirsha Purnima date), पूजाविधि (puja vidhi) और महत्व (mahatav) के बारे में...

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पूर्णिमा व्रत-तिथि और शुभ मुहूर्त (Purnima fasting date and auspicious time)

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 शुभ मुहूर्त इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा 18 दिसंबर, शनिवार को पड़ रही है। हिन्दू पंचांग के अनुसार 18 दिसंबर, दिन शनिवार को प्रात: 07 बजकर 24 मिनट से पूर्णिमा आरंभ हो जाएगी और अगले दिन रविवार का 10 बजकर 05 मिनट तक ही पूर्णिमा तिथि रहेगी। वहीं इस दौरान साध्य योग लगने के कारण पूर्णिमा का महत्व और भी अधिक बढ़ जाएगा। यह योग जप-तप, स्नान-दान और पुण्य आदि कार्यों के लिए बहुत उत्तम माना जाता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजाविधि (Margashirsha Purnima Puja Vidhi)

  • पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों का शरीर पर पड़ना बहुत ही शुभ माना जाता है। पूर्णिमा तिथि के दिन प्रात: स्नानादि के बाद अपने आराध्यदेव और विष्णु जी का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें।
  • पूजास्थल को अच्छी तरह से साफ करके स्वच्छ कर लें। और पूजास्थल पर सभी प्रकार की पूजन सामग्री एकत्रित कर लें।
  • पूजास्थल पर भगवान श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराकर एक साफ चौकी पर स्थापित कर 'ऊँ नमो नारायण ' मंत्र के साथ उनका आवाह्न करें।
  • प्रतिमा को अक्षत, पुष्प, दीप, नेवैध्य अर्पित करें।
  • पूजास्थल पर वेदी बनाकर हवन करें।
  • हवन करने के बाद भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत-कथा और आरती कर लें।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का महत्व (Margashirsha Purnima Importance)

इस दिन अमृत और अमरता का कारक ग्रह चंद्रमा अपने पूर्ण आकार और मजबूत स्थिति में होता है। किसी भी माह के शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि ही पूर्णिमा तिथि होती है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा समसप्तक अवस्था में होते हैं। शास्त्रों के अनुसार चंद्रमा मन का कारक ग्रह है। इसलिए इस दिन पर पवित्र नदी, सरोवर अथवा कुंड आदि में स्नान करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। पूर्णिमा तिथि के दिन किए गए दान का भी फल कई गुना आधिक होता है।

Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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