Margashirsha Purnima 2021: मार्गशीर्ष पूर्णिमा क्यों है बहुत खास, जानें इसका महत्व, तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Margashirsha Purnima 2021: मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है। वहीं मार्गशीर्ष पूर्णिमा को सभी पूर्णिमा तिथियों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है।;

Update: 2021-12-15 03:22 GMT

Margashirsha Purnima 2021: वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का अपना एक महत्व होता है। परन्तु मार्गशीर्ष पूर्णिमा का हिन्दू सनातन धर्म में बहुत ही खास महत्व माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा मनुष्य को पूर्ण मुक्ति दिलाती है। इसीलिए इस पूर्णिमा को शास्त्रों में मोक्षदायिनी पूर्णिमा भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और ध्यान का बहुत ही महत्व होता है। तथा इस दिन किए गए दान, स्नान और ध्यान का 32 गुना अधिक फल मनुष्य को प्राप्त होता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन यदि मनुष्य सच्चे मन से श्रीविष्णु और माता लक्ष्मी जी का पूजन करता है तो उसके लिए मोक्ष का द्वार स्वत: ही खुल जाता है। क्योंकि पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसीलिए इस दिन उपवास रखने से कुण्डली में चंद्रमा की स्थिति में सुधार होता है और मानसिक तनाव, उथल-पुथल की जिंदगी से छुटकारा मिलता है।

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मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 शुभ मुहूर्त

इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा 18 दिसंबर, शनिवार को पड़ रही है। हिन्दू पंचांग के अनुसार 18 दिसंबर, दिन शनिवार को प्रात: 07 बजकर 24 मिनट से पूर्णिमा आरंभ हो जाएगी और अगले दिन रविवार का 10 बजकर 05 मिनट तक ही पूर्णिमा तिथि रहेगी।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन प्रात: उठकर भगवान विष्णु का मन ही मन ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। वहीं स्नान के दौरान आप स्नान के जल में थोड़ा गंगाजल और तुलसी के पत्ते डालने के बाद जल का माथे से लगाकर ईश्वर का ध्यान करें और उन्हें प्रणाम करें और तत्पश्चात स्नान करें। पूजास्थल पर चौकी आदि रखकर श्रीहरि के साथ में माता लक्ष्मी जी की तस्वीर आदि स्थापित करें और फिर रोली, चंदन, फूल-फल, प्रसाद, अक्षत, धूप-दीप आदि के साथ उनका पूजन करें। वहीं पूजा के स्थान पर वेदी बनाएं और हवन के लिए अग्नि प्रज्ज्वलित करें। इसके बाद 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:' मंत्र का उच्चारण करते हुए कम से कम एक माला आहुति दें और हवन संपन्न होने के पश्चात ईश्वर का ध्यान करें और भगवान से अपनी गलतियों और भूलों के लिए क्षमा प्रार्थना करें। इसके बाद अपनी जो भी इच्छा और मनोकामना हो उसे भगवान विष्णु के सामने कहें। भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं।

Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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