Margashirsha Purnima 2022 : मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ना करें ये काम, वरना...

Margashirsha Purnima 2022 : हिन्दू पंचांग के अनुसार, 07 दिसंबर 2022 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत किया जाएगा। पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन इस मास का समापन हो जाएगा और अगले दिन से पौष मास प्रारंभ हो जाएगा। वहीं मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान, पुण्य और तप आदि करने का विधान है।;

Update: 2022-12-06 07:26 GMT

Margashirsha Purnima 2022 : हिन्दू पंचांग के अनुसार, 07 दिसंबर 2022 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत किया जाएगा। पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन इस मास का समापन हो जाएगा और अगले दिन से पौष मास प्रारंभ हो जाएगा। वहीं मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान, पुण्य और तप आदि करने का विधान है। ऐसा करने से मनुष्य को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वहीं मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन कुछ कार्यों को करना वर्जित माना जाता है। ऐसा करने से मनुष्य को बहुत पाप लगता है और वह घोर नर्क की यातनाओं को भोगने के बाद नीच यानियों में जन्म लेता है। तो आइए जानते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भूल से भी किन कार्यों को नहीं करना चाहिए।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2022

मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि और वार 

07 दिसंबर 2022, दिन बुधवार

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 

07 दिसंबर 2022, सुबह 08:01 बजे

पूर्णिमा तिथि समापन 

08 दिसंबर 2022, सुबह 09:38 बजे

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन क्या ना करें

व्यसनों का त्याग

मार्गशीर्ष पूर्णिमा अत्यंत ही पुण्यदायी तिथियों में से एक तिथि है। इस दिन सभी प्रकार के मादक पदार्थों का त्याग करें और किसी भी प्रकार का व्यसन ना करें। आज के दिन लहसुन-प्याज, शराब, धुम्रपान आदि चीज के सेवन से दूरी बनाएं।

बुजुर्गों का अपमान

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन बुजुर्गों का सम्मान करें और भूल से भी किसी भी बुजुर्ग व्यक्ति का अपमान ना करें। ऐसा करने से व्यक्ति घोर पाप का भागी बनता है और कल्प पर्यंत नर्क में वास करता है।

पराई नारी से दूरी

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन किसी भी पराई औरत पर बुरी दृष्टि ना डालें। पराई औरत के साथ सम्मान से पेश आए और किसी भी प्रकार का गलत विचार अपने मन में ना लाएं। पराई स्त्री में आसक्ति रखने वाला व्यक्ति अद्योगति को प्राप्त होता है।

स्त्री सहवास

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन अधिक से अधिक समय भगवान श्रीहरि के ध्यान और भजन-कीर्तन में बिताएं। आज के दिन भूल से भी स्त्री सहवास ना करें। ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करें और रात्रि जागरण करें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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