Mauni Amavasya 2021 : मौनी अमावस्या के दिन करें ये उपाय, हमेशा के लिए गरीबी हो जाएगी दूर

  • माघ कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि माघ अमावास्या या मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya ) है।
  • मौनी अमावस्या के दिन स्नान, दान, पूजा-पाठ, मंत्र जाप, पितरों की आत्म शांति, तर्पण, भगवान विष्णु व पीपल वृक्ष की पूजा करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत भी रखा जाता है।
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Update: 2021-02-09 05:55 GMT

Mauni Amavasya 2021 : माघ कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि माघ अमावास्या या मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya ) है। इस दिन स्नान, दान, पूजा-पाठ, मंत्र जाप, पितरों की आत्म शांति, तर्पण, भगवान विष्णु व पीपल वृक्ष की पूजा करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन व्रत रखा जाता है। शास्त्रों में अमावस्या पर गुरूवार का संयोग बेहद दुर्लभ और बहुत ही शुभ माना जाता है। 2021 में मौनी अमावस्या पर गुरूवार का खुबसूरत संयोग बन रहा है इसीलिए गुरूवारी अमावस्या पर आपको धन प्राप्ति के कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए। तो आइए जानते हैं माघ मौनी अमावस्या पर किए जाने वाले इन्हीं खास उपायों के बारे में।

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मौनी अमावस्या 2021 शुभ मुहूर्त

मौनी अमावस्या तिथि

11 फरवरी दिन गुरुवार

माघ मौनी अमावस्या तिथि प्रारम्भ

11 फरवरी, 01:08 AM

माघ मौनी अमावस्या तिथि समाप्त

12 फरवरी, 12:35 AM

उदया तिथि 11 फरवरी को प्राप्त होने के कारण 11 फरवरी को ही मौनी अमावस्या का स्नान, दान, व्रत, पूजा-पाठ आदि किया जाएगा।

मौनी अमावस्या उपाय

झाड़ू में साक्षात महालक्ष्मी का वास माना जाता है। क्योंकि ये हमारे घर से दरिद्रता रूपी गन्दगी को साफ करती है। ध्यान रखें कि कभी भी गुरुवार या शुक्रवार के दिन आपको अपने घर से झाड़ू नहीं फेंकनी है क्योंकि ये दोनों दिन मां लक्ष्मी जी और श्रीहरि के पूजन के दिन होते हैं। इस दिन यदि आप घर से पुरानी झाड़ू बाहर करते हैं तो ऐसा करने पर झाड़ू के साथ-साथ मां लक्ष्मी जी भी आपके घर से चली जाती हैं।

इस साल मौनी अमावस्या गुरुवार के शुभ योग में आ रही है। तो आप इस बात का खास ख्याल रखें कि अपने घर से पुरानी झाड़ू बाहर ना फेंके। बल्कि गुरुवारी अमावस्या के सुन्दर योग में यदि आप घर में नई झाड़ू खरीदकर लाते हैं तो इस उपाय से आपके घर से सभी परेशानियां दूर होकर वर्षों पुरानी दरिद्रता भी दूर हो जाएगी और आपके घर में मां लक्ष्मी जी स्थिर रूप से निवास कर सकती हैं।

मौनी अमावस्या विधि

इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था और मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। जिस वजह से इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि होठों से ईश्वर का जप करने से जितना पुण्य मिलता है उससे कहीं अधिक पुण्य मौन रहकर जप करने से प्राप्त होता है। इसीलिए इस दिन सुबह स्नान करने के बाद मौन व्रत का संकल्प लें। यदि संभव हो सके तो गंगा नदी में स्नान करें। और फिर जल में काले तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। स्नान के बाद किसी जरुरतमंद व्यक्ति को तिल के लड्डू, तिल, तिल का तेल, वस्त्र, आंवला आदि चीजों का दान करें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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