Mauni Amavasya 2022: सोमवती अमावस्या पर दान पुण्य करने से मिलता है अक्षय पुण्य

Mauni Amavasya 2022: सोमवार 31 जनवरी को माघ मास की अमावस्या है। सोमवार को अमावस्या होने से इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या मनाई जाती है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि माघ माह की अमावस्या तिथि 31 जनवरी दोपहर 02:18 मिनट से शुरू होकर 1 फरवरी सुबह 11:16 मिनट तक रहेगी।;

Update: 2022-01-31 02:18 GMT

Mauni Amavasya 2022: सोमवार 31 जनवरी को माघ मास की अमावस्या है। सोमवार को अमावस्या होने से इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या मनाई जाती है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि माघ माह की अमावस्या तिथि 31 जनवरी दोपहर 02:18 मिनट से शुरू होकर 1 फरवरी सुबह 11:16 मिनट तक रहेगी। अमावस्या तिथि जब सोमवार के दिन आती है। तब इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का बेहद महत्व है। इस दिन व्रत, पूजन और पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है। महिलाएं सोमवती अमावस्या के दिन पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। पितृ दोष निवारण के लिए दिन अत्यंत शुभ माना गया है। माघ मास में तीर्थ स्नान और दान-पुण्य करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। इस अमावस्या पर किए गए दान-पुण्य और तीर्थ स्नान से अक्षय पुण्य मिलता है। मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं। इस तिथि पर अपने-अपने क्षेत्रों की पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए और क्षेत्र के पौराणिक महत्व वाले तीर्थों के, मंदिरों के दर्शन करना चाहिए। पूजा-पाठ आदि शुभ काम करना चाहिए।

सोमवती अमावस्या

31 जनवरी को दोपहर 2: 20 से शुरू

1 फरवरी को सुबह 11:16 पर समाप्त

सोमवती अमावस्या पर करें ये काम

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि अगर हम किसी नदी में स्नान करने नहीं जा पाते हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाएं और तीर्थों का ध्यान करते हुए स्नान करें। सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें और सूर्यदेव को चढ़ाएं। ऐसा करने से भी तीर्थ और नदी स्नान के बराबर पुण्य मिल सकता है। स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को अनाज और गोशाला में धन, हरी घास का दान करें। अमावस्या पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। घर में दोपहर करीब 12 बजे गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और उसके अंगारों पर गुड़-घी डालें। पितरों का ध्यान करें। हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को अर्घ्य अर्पित करें। किसी शिव मंदिर में दीपक जलाएं, शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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