Narak Chaturdashi 2020 : यमराज से भी कठोर माने जाते हैं ये देवता, पापियों को देते हैं नर्क से भी कड़ी सजा
Narak Chaturdashi 2020 : नर्क चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन यम दीपक जलाना बहुत ही आवश्यक माना जाता है। ऐसा करने से अकाल मृत्यु भय समाप्त हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक देवता ऐसे भी हैं। जिनका दंड यमराज (Yamraj) से भी कठोर माना जाता है। अगर नहीं तो हम आपको आज इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं कौन हैं वह देवता जो यमराज से भी देते हैं कड़ी सजा।;
Narak Chaturdashi 2020 : नर्क चतुर्दशी 14 नवंबर 2020 (Narak Chaturdashi 14 November 2020) को मनाई जाएगी। इस दिन को छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। नर्क चतुर्दशी के दिन धर्मराज यमराज की पूजा (Yamraj Ki Puja) की जाती है और यम दीपक जलाया जाता है। यमराज पापियों को नर्क में कठोर से कठोर सजा देते हैं। लेकिन एक देवता ऐसे भी हैं जो नर्क में मिलने वाली इन सजाओं से भी ज्यादा कठोर सजा देते हैं तो आइए जानते है उन देवता के बारे में...
काल भैरव की पापियों को दी जाने वाली सजा (Kaal Bhairava Ki Papiyo Ko Di Jane Wali Saja)
यमराज को धर्मराज कहा जाता है। यमराज लोगों के पाप और पुण्य का फैसला करते हैं। लेकिन यमराज के अलावा एक अन्य देव भी हैं जो लोगों के पाप और पुण्य का फैसला करते हैं। लेकिन यमराज और इनका न्याय करने का तरीका बहुत अलग है। यह देव हैं काल भैरव। काल भैरव भी लोगों के पाप और पुण्य का फैसला करते हैं। इन्हें भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है। शास्त्रों में काल भैरव के प्रकट होने का दिन मार्गशीष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बताया गया है।
इसके अलावा काल भैरव को काल का भी काल माना जाता है। जो भी व्यक्ति काल भैरव की भक्ति सच्चे मन से करता है। उसे कभी भी किसी प्रकार का भय नहीं सताता है। इतना ही नहीं मृत्यु भी इनके डर के मारे कोसों दूर भागती है। शास्त्रों के अनुसार जो भी व्यक्ति अपने आप को काल भैरव की भक्ति में लीन रखता है। उनके पाप स्वंय ही नाश हो जाते हैं और मृत्यु के पश्चात इनके भक्तों को सीधे शिव लोक में स्थान प्राप्त होता है। काशी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है।
जिस व्यक्ति की मृत्यु काशी में होती है। उसे यमदूत अपने साथ नहीं ले जाते हैं। क्योंकि काशी में यमराज का नहीं बल्कि भगवान शिव का शासन चलता है।शिव पुराण के अनुसार एक मात्र काशी ही एक ऐसा स्थान है। जहां पर मृत्यु प्राप्त होने वाले व्यक्ति को नर्क नहीं जाना पड़ता है। क्योंकि यहां पर यमराज का राज नहीं चलता बल्कि यहां काल भैरव का ही राज चलता है। काशी में मृत्यु पाने वाले व्यक्ति का न्याय सिर्फ काल भैरव ही करते हैं। लेकिन यमराज और काल भैरव के न्याय में बहुत अंतर होता है।
काल भैरव का न्याय यमराज के न्याय से भी बहुत कठोर माना जाता है। पुराणों के अनुसार यमराज के हाथ में एक सोंटा होता है। काशी में मृत्यु पाने वाले व्यक्ति का जो भी पाप होता है।काल भैरव उस मृत व्यक्ति की आत्मा को उसके पापों की सजा देने के लिए उसकी सोंटे से खूब पिटाई करते हैं। जो जितना ज्यादा पापी होता है। उसकी उतनी ज्यादा ही पिटाई होती है। पापों की सजा पा जाने के बाद आत्मा को आखिरकार पाप से मुक्ति मिल जाती है और उस व्यक्ति की आत्मा की शुद्धि होने के बाद उसे शिव लोक में स्थान प्राप्त होता है।