Padmini Ekadashi 2020 Mein kab Hai : पद्मिनी एकादशी 2020 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा

Padmini Ekadashi 2020 Mein kab Hai : पद्मिनी एकादशी अधिक मास में पड़ने वाली एकादशी मानी जाती है।इस साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में पद्मिनी एकादशी पड़ रही है तो चलिए जानते हैं पद्मिनी एकादशी 2020 में कब है (Padmini Ekadashi 2020 Mai Kab Hai), पद्मिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त (Padmini Ekadashi Shubh Muhurat),पद्मिनी एकादशी का महत्व (Padmini Ekadashi Importance),पद्मिनी एकादशी की पूजा विधि (Padmini Ekadashi Puja Vidhi) और पद्मिनी एकादशी की कथा (Padmini Ekadashi Story);

Update: 2020-09-06 11:00 GMT

Padmini Ekadashi 2020 Mein kab Hai : एक साल में 24 एकादशियां पड़ती हैं लेकिन इस साल मलमास होने के कारण एकादशियों की संख्या 26 हो गई है। मलमास में मनाई जाने वाली एकादशी को पद्मिनी एकादशी (Padmini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। जिसे कमला एकादशी (Kamla Ekadashi) भी कहते हैं तो आइए जानते हैं पद्मिनी एकादशी 2020 में कब है, पद्मिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, पद्मिनी एकादशी का महत्व,पद्मिनी एकादशी की पूजा विधि, पद्मिनी एकादशी की कथा।


पद्मिनी एकादशी 2020 तिथि

27 सितंबर 2020

पद्मिनी एकादशी 2020 शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ - शाम 06 बजकर 59 मिनट से (26 सितम्बर 2020)

एकादशी तिथि समाप्त - अगले दिन शाम 07 बजकर 46 मिनट तक (27 सितंबर 2020)


पद्मिनी एकादशी का महत्व

पुरूषोत्तम मास में पड़ने वाली एकादशी को पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को कमला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। एक साल मे 24 एकादशी आती हैं। लेकिन इस साल अश्विन मास में अधिक मास लग रहा है। इसी कारण इस वर्ष एकादशी की संख्या 24 से बढ़कर 26 हो गई हैं। इस एकादशी में स्नान.दान ,पूजा पाठ और सभी धार्मिक कार्यों को विशेष महत्व दिया जाता है। जो व्यक्ति पद्मनी एकादशी के दिन विधिवत भगवान विष्णु की पूजा करता है और व्रत रखता है। उसके जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं और मरने के बाद उसे विष्णु लोक में स्थान प्राप्त होता है।


पद्मिनी एकादशी पूजा विधि

1.पद्मिनी एकादशी के दिन निर्जल व्रत रखा जाता है। इसलिए यदि संभव हो तो इस दिन निर्जल व्रत रखें।

2. इस दिन साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

3.इसके बाद एक साफ चौकी लेकर उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करके उन्हें पीले फूल, पीले वस्त्र और नैवेद्य आदि अर्पित करें।

4. यह सभी चीजें अर्पित करने के बाद भगवान विष्णु के आगे धूप व दीप जलाकर उनकी विधिवत पूजा करें और आपती उतारें।

5. अंत में भगवान विष्णु को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं और विष्णु पुराण और शिव पुराण का पाठ करें।


पद्मिनी एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार त्रेतायुग में एक पराक्रमी राजा कीतृवीर्य हुआ करता था। जिसकी बहुत सी रानियां थी। लेकिन किसी भी रानी उसे पुत्र प्राप्त नहीं हो सका। जिसके कारण सभी राानियां और राजा दुखी रहा करते थे।संतान सुख के लिए राजा जंगल में तपस्या के लिए चल दिए। जहां उन्होंने हजारों साल तक तपस्या की। लेकिन राजा की तपस्या सफल नहीं हुई। जिसके बाद उनकी एक रानी ने इस बारे में देवी अनुसूया से उपाय पूछा।

देवी ने उन्हें अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। जिसके बाद रानी ने पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा। उस व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने रदान मांगने के लिए कहा। रानी ने भगवान से कहा प्रभु आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मेरे बदले मेरे पति को वरदान दीजिए। भगवान ने तब राजा से वरदान मांगने के लिए कहा। राजा ने भगवान से प्रार्थना की कि आप मुझे ऐसा पुत्र प्रदान करें जो सर्वगुण सम्पन्न हो जो तीनों लोकों में आदरणीय हो। इसके बाद राजा के यहां एक पुत्र ने जन्म लिया जिसका नाम कार्तवीर्य अर्जुन रखा गया। 

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