पंचामृत बनाने की विधि, पंचामृत की सामग्री, आप भी जानें

पंचामृत प्रत्येक पूजा में अति आवश्यक होता है। जीवन में और आपके घर -परिवार में जितने भी शुभ कार्य होते हैं, उन सब में पंचामृत का विशेष महत्व होता है। पूजा के दौरान पंचामृत से भगवान को स्नान कराया जाता है। वैसे तो भगवान को स्नान पंचामृत के साथ और भी अनेक दृव्यों से कराया जाता है। तथा भगवान को पंचामृत का नवैध्य भी दिखाया जाता है। नवैध्य के बाद पंचामृत का वहीं प्रसाद पूजा के बाद भक्तों को बांटा जाता है। तो आइए आप भी जाने पंचामृत बनाने की विधि और पंचामृत के आवश्यक तत्वों के बारे में।;

Update: 2020-09-01 03:22 GMT

पंचामृत प्रत्येक पूजा में अति आवश्यक होता है। जीवन में और आपके घर -परिवार में जितने भी शुभ कार्य होते हैं, उन सब में पंचामृत का विशेष महत्व होता है। पूजा के दौरान पंचामृत से भगवान को स्नान कराया जाता है। वैसे तो भगवान को स्नान पंचामृत के साथ और भी अनेक दृव्यों से कराया जाता है। तथा भगवान को पंचामृत का नवैध्य भी दिखाया जाता है। नवैध्य के बाद पंचामृत का वहीं प्रसाद पूजा के बाद भक्तों को बांटा जाता है। तो आइए आप भी जाने पंचामृत बनाने की विधि और पंचामृत के आवश्यक तत्वों के बारे में।

किसी भी चीज को बनाने और रखने के लिए पात्र का चयन बहुत आवश्यक होता है। आप पूजा में जल रखते हैं उसके लिए भी पात्र और धातु निर्धारित होते हैं। ऐसे ही पंचगव्य के लिए भी हिन्दू शास्त्रों में पात्र निर्धारित हैं। और दूध के लिए भी पात्र निर्धारित है। यहां तक की आप भगवान के अभिषेक के लिए जो वस्तुएं रखते हैं शास्त्रों में उनके लिए भी अलग-अलग धातु के बर्तन निर्धारित हैं। तो ऐसे ही शास्त्रों में पंचामृत के लिए भी एक विशेष धातु के पात्र का चयन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक धातु का अपना एक अलग औचित्य है, उसी के कारण ही उस धातु का शास्त्रों में महत्व बताया गया है। इसलिए उस धातु का वहां उपयोग किया जाता है।

शास्त्रों के अनुसार पात्र का चयन तो दान करते समय भी करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार सद्पात्र को ही दान करना चाहिए। पात्र का मतलब यानि की योग्यता। अर्थात उस वस्तु के योग्य ही सबकुछ होना चाहिए। इसलिए शास्त्रों में पंचामृत बनाने के लिए सबसे उत्तम पात्र चांदी का बताया गया है। अगर आपके पास चांदी का पात्र नहीं है तो आप स्टील का पात्र ले सकते हैं। अथवा मिट्टी का पात्र ले सकते हैं। परन्तु तांबे, पीतल, अष्ट धातु का पात्र आपको पंचामृत बनाने के लिए उपयोग में नहीं लेना चाहिए।

पंचामृत के पदार्थ

पंचामृत बनाने के लिए आपको दूध, दही, घी, शक्कर, शहद का उपयोग करना चाहिए। शक्कर की जगह कहीं-कहीं पंचामृत में गुड़ का प्रयोग भी किया जाता है। इसके साथ ही पंचामृत बनाने में आपको गाय के दूध, दही और घी का उपयोग ही करना चाहिए।

पंचामृत बनाने की विधि

अगर आप पंचामृत में गंगाजल डालना चाहते हैं तो सबसे पहले पात्र में गंगाजल डालें। पंचामृत में गंगाजल आप कभी भी बाद में ना डालें। इसके बाद सबसे पहले आप पात्र में दूध डालें। और उसके बाद दही, घी दही के ऊपर समान मात्रा में घी डाल दें। पंचामृत बनाते समय घी में कंजूसी बिलकुल ना करें। उसके बाद समान अंश ही शहद पात्र में डाले। और सबसे बाद में शक्कर या गुड़ कुछ अधिक मात्रा में पात्र में डालें। और पंचामृत बनाने समय भगवान का स्मरण करते रहना चाहिए। और पंचामृत को मिलाते रहना चाहिए। अगर आप चाहें तो पंचामृत में पंचमेवा भी डाल सकते हैं। लेकिन पंचामृत में तुलसी कभी भी पहले नहीं डालनी चाहिए। तुलसी को पंचामृत में सबसे बाद में डालना चाहिए।  

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