Parivartini Ekadashi 2021 Date: परिवर्तनी एकादशी आज, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
Parivartini Ekadashi 2021 Date: परिवर्तिनी का अर्थ है परिवर्तन और एकादशी तिथि होने के कारण इस दिन को परिवर्तिनी एकदाशी (Parivartini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है।। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्ण (Lord Vishnu) श्रीर सागर में विश्राम करते हुए करवट बदलते हैं। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। कई स्थानों पर इस एकादशी को जल झूलनी एकादशी यानी डोल ग्यारस भी कहते हैं। इतना ही नहीं इस दिन यदि कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करता है तो उसे जीवन के सुखों की प्राप्ति होती है और मरने के बाद उसे बैंकुंठ धाम में स्थान मिलता है।;
Parivartini Ekadashi 2021 Date: परिवर्तिनी का अर्थ है परिवर्तन और एकादशी तिथि होने के कारण इस दिन को परिवर्तिनी एकदाशी (Parivartini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है।। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्ण (Lord Vishnu) श्रीर सागर में विश्राम करते हुए करवट बदलते हैं। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। कई स्थानों पर इस एकादशी को जल झूलनी एकादशी यानी डोल ग्यारस भी कहते हैं। इतना ही नहीं इस दिन यदि कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करता है तो उसे जीवन के सुखों की प्राप्ति होती है और मरने के बाद उसे बैंकुंठ धाम में स्थान मिलता है। तो आइए जानते हैं परिवर्तिनी एकादशी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
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परिवर्तिनी एकादशी 2021 तिथि
17 सितंबर को उदया तिथि होने के कारण 17 सितंबर, दिन शुक्रवार को परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
परिवर्तिनी एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त
पुण्य काल | सुबह 06 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक। |
पूजा की कुल अवधि | 06 घंटे 08 मिनट तक रहेगी। |
महापुण्य काल की अवधि | 17 सितंबर को सुबह 06 बजकर 07 मिनट से सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक महापुण्य काल रहेगा। इसकी अवधि 02 घंटे 03 मिनट की है। |
परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। परिवर्तिनी एकादशी परिवर्तन को दर्शाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु श्रीर सागर में शेषनाग के ऊपर सोते हुए करवट बदलते हैं और वह इस दिन अपनी प्रसन्न मुद्रा में होते हैं। इसी कारण से परिवर्तिनी एकादशी को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। इतना ही नहीं इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार भी लिया था।
परिवर्तिनी एकादशी के दिन जो भी व्यक्ति भगवान विष्णु की विधिवत पूजा- अर्चना करता है। उसके जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उसके सभी पाप धूल जाते हैं। इस दिन पूजा करने वाले व्यक्ति को धरती लोक पर तो सभी सुखों की प्राप्ति होती ही है साथ ही उसे मरने के बाद बैकुंठ में भी स्थान प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन पाताल लोक में भगवान विष्णु की एक प्रतिमा राजा बलि के पास भी होती है।
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परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि
परिवर्तिनी एकादशी के नियमों का पालन दशमी तिथि से ही करना चाहिए। इस दिन साधक को स्नान करने के बाद पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए और उन्हें पीले वस्त्र, पीले फूल,फल ,तुलसी दल,नैवेद्य आदि अर्पित करने चाहिए। यह सभी चीजें अर्पित करने के बाद उनकी विधिवत पूजा करनी चाहिए और परिवर्तिनी एकादशी की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए।इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए और उन्हें पीली मिठाईयों का भोग लगाना चाहिए। अंत में उनकी धूप व दीप से आरती उतारनी चाहिए और पूजा में हुई किसी भी प्रकार की गलती के लिए क्षमा याचना करनी चाहिए।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)