Phulera Dooj 2021 : वैवाहिक जीवन में नई खुशियां लाता है फुलेरा दूज त्योहार, आज करें श्रीराधा-कृष्ण की पूजा
- फुलेरा दूज पर आज होगी रिकॉर्ड तोड़ शादियां
- कृष्ण और राधा के मिलन की इस तिथि को अति शुभ माना जाता है।
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phulera dooj 2021: फाल्गुन शुक्ल द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज के रूप में मनाया जाता है। इस बार फुलेरा दूज 15 मार्च 2021 दिन सोमवार को यानी कि आज मनायी जाएगी। फुलेरा दूज का दिन होली के आगमन का प्रतीक माना जाता है। फुलेरा दूज के दिन से होली के पर्व की तैयारियां आरंभ हो जाती हैं। फुलेरा दूज के दिन से उत्तर भारत के गांवो में जिस स्थान पर होली रखी जाती हैं वहां पर प्रतीकात्मक रूप में उपले या फिर लकड़ी रख दी जाती हैं। कई जगहों पर फुलेरा दूज के दिन को उत्सव की तरह मनाया जाता है। फुलेरा दूज के दिन से लोग होली में चढ़ाने के लिए गोबर की गुलरियां भी बनाई जाती हैं। होली से पहले आने वाली इस दूज से कृष्ण मंदिरों में फाल्गुन का रंग चढ़ने लगता है। इस पर्व का महत्व शादियों को लेकर भी है। होली से करीब पंद्रह दिन पहले शादियों का शुभ मुहूर्त समाप्त हो जाता है। जबकि फुलेरा दूज के दिन हर पल शुभ होता है। यह तिथि भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होती है।
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ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, फुलेरा दूज का शाब्दिक अर्थ फुलेरा का अर्थ है फूल, जो फूलों को दर्शाता है। यह माना जाता है। भगवान कृष्ण फूलों के साथ खेलते हैं और फुलेरा दूज की शुभ पूर्व संध्या पर होली के त्योहार में भाग लेते हैं। यह त्योहार लोगों के जीवन में खुशियां और उल्लास लाता है।
फुलेरा दूज का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन शुक्ल द्वितीया तिथि आरंभ | 14 मार्च 2021 को शाम 05:06 मिनट से |
फाल्गुन शुक्ल द्वितीया समाप्त | 15 मार्च 2021 को शाम 06:49 मिनट पर |
विवाह के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त
फुलेरा दूज को हिंदू शास्त्रों में बड़ा ही महत्वपूर्ण योग बताया है। इसीलिए इस दिन सर्वाधिक विवाह समारोह भी संपन्न होते हैं। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि विवाह बंधन के लिए वर्ष का सर्वोत्तम दिन है। मान्यता है कि इस दिन विवाह करने से दंपति को भगवान कृष्ण का आशीर्वाद हासिल होता है।
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रिकॉर्ड तोड़ शादियां
सर्दी के मौसम के बाद इसे शादियों के सीजन का अंतिम दिन माना जाता है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, इस दिन रिकॉर्ड तोड़ शादियां होती हैं। इसका अर्थ है कि विवाह, संपत्ति की खरीद इत्यादि सभी प्रकार के शुभ कार्यों को करने के लिए दिन अत्यधिक पवित्र है।
अबूझ मुहूर्त है फुलेरा दूज
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, फुलेरा दूज के त्योहार को सबसे महत्वपूर्ण और शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन किसी भी तरह के हानिकारक प्रभावों और दोषों से प्रभावित नहीं होता है और इसे अबूझ मुहूर्त माना जाता है। सर्दी के मौसम के बाद इसे शादियों के सीजन का अंतिम दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन रिकॉर्ड तोड़ शादियां होती हैं। विवाह, संपत्ति की खरीद इत्यादि सभी प्रकार के शुभ कार्यों को करने के लिए दिन अत्यधिक पवित्र है। शुभ मुहूर्त पर विचार करने या किसी विशेष शुभ मुहूर्त को जानने के लिए पंडित से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं है। उत्तर भारत के राज्यों में, ज्यादातर शादी समारोह फुलेरा दूज की पूर्व संध्या पर होते हैं। लोग आमतौर पर इस दिन को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए सबसे समृद्ध पाते हैं।
दांपत्य के लिए अति शुभ घड़ी
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, जिस तिथि में कृष्ण और राधा ने फूलों की होली खेली वह फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। इसीलिए इस तिथि को फुलेरा दूज कहा गया। कृष्ण और राधा के मिलन की तिथि को अति शुभ माना जाता है और इसीलिए इस तिथि को विवाह करने वाले युगलों के बीच अपार स्नेह और दांपत्य का मजबूत रिश्ता बनता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)