Pitru Paksha 2020 Date : जानिए तिथि के अनुसार पितृ पक्ष में कब करें किसका श्राद्ध

Pitru Paksha 2020 Date : पितृ पक्ष (Pitru Paksha) वह समय होता है जब हमारे पितृ धरती पर मौजूद रहते हैं। इस समय पित्तरों का श्राद्ध करना अत्यंत आवश्यक होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपको अपने पित्तरों का श्राद्ध (Pitru shradh)किस तिथि पर करना चाहिए और किसी तिथि पर नहीं करना चाहिए। अगर नहीं तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं पितृ पक्ष में कब करें किसका श्राद्ध।;

Update: 2020-08-24 06:28 GMT

Pitru Paksha 2020 Date : पितृ पक्ष साल 2020 में 1 सितंबर 2020 (Pitru Paksha 1 September 2020) से प्रारंभ हो रहे हैं। यह वह समय होता है जब पित्तरों का तर्पण (Pitru Tarpan) और श्राद्ध कर्म किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार पित्तरों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि पर ही करना चाहिए और यदि आप उनकी मृत्यु तिथि नहीं जानते तो आप उनका श्राद्ध किस तिथि को कर सकते हैं। इसके अलावा घर की सुहागन स्त्रियों का श्राद्ध किस तिथि पर करें।यदि आप भी इसके बारे में जानना चाहते हैं तो हम आपको श्राद्ध पक्ष की प्रत्येक तिथि का महत्व बताएंगे और साथ ही यह भी बताएंगे कि आप पितृ पक्ष में आप कौन सी तिथि पर किसका श्राद्ध कर सकते हैं।

पितृ पक्ष में कब करें किसका श्राद्ध (Pitru Paksha Mein Kab Kare Kiska Shradh)

शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में अपने घर के सभी दिवंगत लोगों का श्राद्ध उनकी मृ्त्यु तिथि पर ही करना चाहिए। मृत्यु तिथि से तात्पर्य उस तिथि से है जो तिथि अंतिम श्वांस परित्याग के समय पर विद्यमान हो।उस तिथि को श्राद्ध पक्ष में दोपहर के समय 12:30 बजे से 1 बजे तक के बीच में श्राद्ध कर्म करना चाहिए।अगर आप अपने दिवंगत लोगो की मृत्यु तिथि के बारे में नहीं जानते तो आप उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन कर सकते हैं।

आपके घर में जिन लोगों की स्वाभिक और सामान्य मृत्यु चतुर्दशी तिथि को हुई हो।आपको उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि के दिन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। बल्कि त्रयोदशी या अमावस्या के दिन आपको उन लोगो का श्राद्ध करना चाहिए।वहीं आपके परिवार में जिन लोगों की अकाल मृत्यु हुई हो तो उनका श्राद्ध मृत्यु तिथि वाले दिन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। आपको इन लोगों को श्राद्ध सिर्फ चतुर्दशी तिथि को ही करना चाहिए। चाहें उनकी मृत्यु किसी भी दिन हुई हो।

घर की सौभाग्यवती स्त्रियों यानी पति के जीवित रहते ही मरने वाली सुहागन स्त्रियों का श्राद्ध केवल पितृ पक्ष की नवमी तिथि को ही करना चाहिए।चाहें उनकी मृत्यु किसी भी तिथि को क्यों न हुई हो। इसके अलावा सन्यासियों का श्राद्ध केवल पितृ पक्ष की द्वादशी तिथि को ही किया जाता है। नाना या नानी का श्राद्ध भी केवल पितृ पक्ष की प्रतिपदा तिथि को ही करना चाहिए।  

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