Pitru Paksha 2021: जानें, श्राद्ध की शुरुआत किसने की और सबसे पहले क्यों दिया जाता है अग्नि देव को भाग
Pitru Paksha 2021: श्राद्ध के बारे में अनेक धर्मग्रंथों में कई सारी बातें बताई गई हैं और महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध के संबंध में ऐसी कई सारी बातें बताई, जो वर्तमान समय में भी बहुत कम लोग ही जानते हैं।;
Pitru Paksha 2021: श्राद्ध के बारे में अनेक धर्मग्रंथों में कई सारी बातें बताई गई हैं और महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध के संबंध में ऐसी कई सारी बातें बताई, जो वर्तमान समय में भी बहुत कम लोग ही जानते हैं। श्राद्ध की परंपरा कैसे शुरु हुई, ये श्राद्ध पितरों के लिए अजीर्ण कारक कैसे हुआ और श्राद्ध में सबसे पहले अग्निदेव को ही क्यों भाग दिया जाता है। तो आइए जानते हैं इन सब बातों के बारे में...
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महाभारत के अनुसार, सबसे पहले श्राद्ध का उपदेश महर्षि निमि को महातपस्वी अत्रि मुनि ने दिया था। इस प्रकार पहले महर्षि निमि ने श्राद्ध का आरंभ किया, उसके बाद अन्य महर्षि भी श्राद्ध करने लगे। इसके बाद धीरे-धीरे चारों वर्णों के लोग श्राद्ध में पितरों को अन्न देने लगे।
लगातार श्राद्ध का भोजन करते-करते देवता और पितृ पूर्ण तृप्त तो हो गए, लेकिन पितरों और देवताओं को अजीर्ण रोग हो गया। इससे इन्हें कष्ट होने लगा, तभी वे ब्रह्मा जी के पास गए और उनसे कहा कि, श्राद्ध का अन्न खाते-खाते हमें अजीर्ण रोग हो गया है, तथा इससे हमें कष्ट हो रहा है। आप हमारा कल्याण कीजिए।
देवताओं की बात सुनकर ब्रह्मा जी बोले, मेरे निकट ये अग्निदेव बैठे हैं, यहीं आपका कल्याण करेंगे।
इस पर अग्निदेव बोले कि, देवताओं और पितरों अब से श्राद्ध में हम लोग साथ ही भोजन किया करेंगे। मेरे साथ रहने से आप लोगों का अजीर्ण रोग दूर हो जाएगा। ये सुनकर देवता और पितर प्रसन्न हो गए। इसीलिए श्राद्ध में सबसे पहले अग्नि को भाग दिया जाता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)