Pukhraj Stone : पुखराज बहुत जल्दी करता फायदा, जानें किन राशि वालों को ये नहीं करता सूट और किन्हें दिखाता है कमाल
- जानें, क्यों पुखराज धारण करने से मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
- पुखराज धारण करने से शिक्षा और करियर के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
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Pukhraj Stone : सभी रत्नों में पुखराज रत्न का अहम स्थान है। पुखराज और सुनहला को देवगुरु बृहस्पति का रत्न माना गया हे। पुखराज बहुत अनमोल रत्न होता है, पुखराज को संस्कृत में पुष्पराग कहा जाता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह अशुभ फल दे रहे हो तो वे लोग पुखराज धारण करते हैं। पुखराज को शुभता, सौभाग्य और संपन्नता के लिए कोई भी व्यक्ति इसे धारण कर सकता है। पुखराज समेत सभी प्रकार के रत्न हमेशा किसी विद्वान आचार्य या ज्योतिषि के परामर्श पर ही धारण करने चाहिए और रत्न को धारण करते समय उस रत्न से संबंधित नियमों का पालन करना चाहिए। तभी उस रत्न के शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी पुखराज धारण करना चाहते हैं तो आइए जानते हैं पुखराज धारण करने की विधि और मंत्र के बारें में...
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पुखराज रत्न
पुखराज पीले रंग का एक बहुत ही कीमती रत्न है। ज्योतिष के अनुसार, पुखराज देवगुरु बृहस्पति ग्रह को बलवान बनाने के लिए धारण किया जाता है। पुखराज रत्न तभी आपको फायदा करेगा जब वह आपकी कुंडली के हिसाब से आपके अनुकूल हो। वैसे तो पुखराज कई रंगों के हो सकते हैं लेकिन बृहस्पति ग्रह को अनुकूल करने के लिए पीले रंग के पुखराज को ही धारण किया जाता है।
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पुखराज धारण करने के लाभ
ऐसी मान्यता है कि पुखराज रत्न धारण करने से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती हैऔर शिक्षा व करियर के क्षेत्र में भी यह व्यक्ति को सफलता प्राप्त कराने में सहायक सिद्ध होता है। वहीं अगर किसी व्यक्ति के जीवन में विवाह संबंधी कोई बाधा है तो वह भी शीघ्र ही दूर होने लगती हैं। प्रशासनिक अधिकारियों, शिक्षकों, वकीलों, न्यायधीशों व राजनेताओं के लिए अगर पुखराज रत्न सूट कर जाए तो एक वरदान साबित हो सकता है।
किन लोगों को धारण करना चाहिए पुखराज और किन लोगों को नहीं
ज्योतिष के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पतिदेव के शुभ प्रभाव में कमी आ रही हो उन लोगों को पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है। पुखराज मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन राशि के जातकों के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। वहीं वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशि के जातकों को भूलकर भी पुखराज को धारण नहीं करना चाहिए। वहीं ज्योतिष में पुखराज को पन्ना, नीलम, हीरा, गोमेद व लहसुनियां के साथ भी धारण नहीं करने की सलाह दी जाती है। वहीं ज्योतिष के अनुसार, यदि कुंडली में बृहस्पति ग्रह छठें, आठवें व 12वें भाव का स्वामी है तब भी पुखराज धारण नहीं करना चाहिए।
पुखराज धारण करने के नियम
पुखराज को सवा पांच रत्ती, सवा नौ रत्ती, सवा बारह रत्ती की मात्रा में ही धारण करना चाहिए। पुखराज खरीदकर पीले रेशमी वस्त्र में लपेट कर सीधी भुजा में बांध लें। गुरुवार से गुरुवार तकपुखराज को बांधकर रखें और इसकी शुभता को चेक कर लें। यदि इस दौरान आपके साथ कुछ अशुभ नहीं होता है और आपकी वर्तमान स्थिति में सुधार होने लग जाए तो पुखराज को शुभ मानकर और सोने में जड़वाकर किसी भी शुक्ल पक्ष के गुरुवार को सूर्य उदय होने के बाद इसकी प्राण प्रतिष्ठा करवाएं और धारण कर लें।
पुखराज धारण करते समय इस मंत्र का करें जाप
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्दीदयच्छवस ऋतुप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।
बृहस्पति का तांत्रिक मंत्र
ॐ ज्रॉं ज्रीं ज्रौं स: गुरुवे नम:।।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)