जानिए राहु ग्रह का स्वरूप, राहु की विशेषताएं, राहु से मुक्ति के उपाय
राहु एक क्रूर ग्रह है, परंतु यदि राहु कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि राहु ग्रह के कुंडली में कमजोर होने पर यह अशुभ फल देता है। श्रीराम कथा प्रवक्ता आचार्य उमाशंकर भारद्वाज जी के अनुसार वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को कठोर वाणी, जुआ, यात्राएं, चोरी, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग, धार्मिक यात्राएं आदि का कारक कहते हैं।;
राहु एक क्रूर ग्रह है, परंतु यदि राहु कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि राहु ग्रह के कुंडली में कमजोर होने पर यह अशुभ फल देता है। श्रीराम कथा प्रवक्ता आचार्य उमाशंकर भारद्वाज जी के अनुसार वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को कठोर वाणी, जुआ, यात्राएं, चोरी, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग, धार्मिक यात्राएं आदि का कारक कहते हैं।
राहु का स्वरूप
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार असुर राहु का कटा हुआ सिर है, जो ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण करता है। इसे कलात्मक रूप में बिना धड़ वाले सर्प के रूप में दिखाया जाता है, जो रथ पर आरूढ़ है और रथ आठ श्याम वर्णी कुत्तों द्वारा खींचा जा रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु को नवग्रह में एक स्थान दिया गया है।
राहु की विशेषताएं
राहु छाया ग्रह है, ग्रन्थों मे इसका पूरा वर्णन है और श्रीमदभागवत महापुराण में तो शुकदेवजी ने स्पष्ट वर्णन किया कि राहु सूर्य से 10 हजार योजन नीचे स्थित है, और श्याम वर्ण की किरणें निरन्तर पृथ्वी पर छोड़ता रहता है, राहु मिथुन राशि में उच्च का होता है धनु राशि में नीच का हो जाता है, राहु और शनि रोग कारक ग्रह है, इसलिए राहु ग्रह रोग जरूर देता है।
बुध हमारी बुद्धि का कारक है, जो बुद्धि हमारी सामान्य बातों की समझ से संबंधित है, बुध की प्रखरता पर निर्भर है और बुध का इष्ट है दुर्गा।
इस प्रकार की बुद्धि का कारक राहु है, राहु के अन्दर दिमाग खराब, बेकार के दुश्मन पैदा होना यह सब राहु के अशुभ होने की निशानी है, राहु हमारे ससुराल का कारक है इसे सुधारने के उपाय है, सिर पर चोटी रखना राहु का एक मात्र उपाय है।
लेकिन कुंडली का बारहवां भाव राहु का घर नहीं है तो क्या है, इस अनन्त आकाश का दर्शन राहु के ही रूप में दिखाई दे रहा है, इस राहु के नीले प्रभाव के अन्दर ही तो सभी ग्रह विद्यमान है, और जितना दूर हम चले जाएंगे, यह नीला रंग तो कभी समाप्त नहीं होने वाला है। राहु ही ब्रह्माण्ड का दृश्य रूप है।
राहु की दशा से मुक्ति के सरल उपाय
1.अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए।
2. राहु की शांति के लिए श्रावण मास में रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करना सर्वोत्तम है।
3. शनिवार को कोयला, तिल, नारियल, कच्चा दूध, हरी घास, जौ, तांबा बहती नदी में प्रवाहित करें।
4. बहते पानी में शीशा अथवा नारियल प्रवाहित करें।
5. नारियल में छेद करके उसके अन्दर तांबे का सिक्का डालकर नदी में बहा दें।