Sankashti Chaturthi 2021 : संकष्टी चतुर्थी आज, जानें गणेश पूजा की ये सरल विधि और चंद्रोदय का समय
- चतुर्थी तिथि को गौरी पूत्र गणेश जी की पूजा करना शुभ माना जाता है।
- आषाढ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी है।
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Sankashti Chaturthi 2021 : प्राचीन कथाओं के अनुसार, चतुर्थी तिथि को गौरी पूत्र गणेश जी की पूजा करना शुभ माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी का तात्पर्य संकटों और दुख को हरने वाली चतुर्थी से है, इसलिए भक्त इस दिन दुखों को हरने के लिए व्रत और गणेश जी की पूजा करते हैं। आषाढ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी है। जोकि इस बार रविवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान गणेश के साथ सूर्यदेव की पूजा अति लाभकारी रहेगी। तो आइए जानते हैं आषाढ माह संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि और चंद्रोदय मुहूर्त के बारे में...
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संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी | 27 जून 2021, दिन रविवार |
चतुर्थी तिथि प्रारंभ | 27 जून, शाम 03 बजकर 54 मिनट से |
चतुर्थी तिथि समाप्त | 28 जून दोपहर 02 बजकर 16 मिनट तक |
चंद्रोदय का समय | रात्रि 10 बजकर 03 मिनट पर, 27 जून, दिन रविवार |
व्रत डेट | संकष्टी चतुर्थी का व्रत 27 जून को रखा जाएगा। |
व्रत पारण | संकष्टी चतुर्थी व्रत पारण 28 जून को किया जाएगा। |
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
गणेश जी को बल, बुद्धि और विवेक का देवता माना गया है। वे अपने भक्तों को हर विघ्न बाधा और दुख से दूर रखते हैं। शास्त्रों में संकष्टी चतुर्थी का अर्थ संकटों को हरने वाली चतुर्थी से ही है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें।
अब पूजा स्थल पर एक चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर उनका पूजन करें। सभी पूजन सामग्री के साथ गणेश जी को दूर्वा जरुर चढ़ाएं और गणेश जी को लड़डुओं या तिल से बने मिष्ठान का भोग भी जरुर लगाएं और व्रत कथा सुनें। पूजा में गणेश जी के मंत्रों का जाप कर आरती करें और रात में जब चंद्रमा उदय हो जाय तो शुभ मुहूर्त में जल से अर्घ्य देकर उपवास पूरा करें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)