कोरोना संक्रमण से ऐसे निजात दिलाता है संकटमोचन हनुमानाष्टक पाठ, एक क्लिक में जानें इसका चमत्कार
- संकट मोचन हनुमानाष्टक पाठ करने से सभी प्रकार के विघ्न, बाधा, रोग और शोक दूर हो जाते हैं।
- महामारी के दौरान इसका पाठ करने से रोगी को आत्मबल प्राप्त होता है।
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संकट मोचन हनुमानाष्टक पाठ करने से सभी प्रकार के विघ्न, बाधा, रोग और शोक दूर हो जाते हैं। महामारी के दौरान इसका पाठ करने से रोगी को आत्मबल प्राप्त होता है। इस समय देश और दुनिया में कोरोना संक्रमण के कारण अत्यधिक लोग काल का ग्रास बनकर मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं। ऐसे में अगर संक्रमित रोगी और उसके परिजन नियम और श्रृद्धापूर्वक हनुमानाष्टक का पाठ करें अथवा किसी विद्वान आचार्य, या ब्राह्मण से संकट मोचन हनुमानाष्टक का पाठ कराएं तो कोरोना से निजात पायी जा सकती है। इसके प्रभाव से रोगी के ऊपर दवाई का प्रभाव शीघ्र ही होने लगेगा और वह जल्दी ही स्वस्थ हो सकता है।
परेशानी से भी अधिक ताकतवर होता है उसका निवारण
वहीं ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि ईश्वर की आराधना से बीमार लोगों और उनके परिवार वालों का मनोबल बढ़ता है। साथ ही रोगों से लड़ने की इच्छा जागृत होती है। कोरोना महामारी से उबरने में भगवान आत्मबल प्रदान करते है। किसी भी प्रकार का कैसा भी बड़ा और भीषण संकट हो संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ अत्यंत प्रभावकारी है। इस पाठ से हर बाधा का नाश होता है और संकटों का अंत होता है। कोई भी परेशानी यह समस्या कितनी भी ताकतवर हो लेकिन उसका निवारण उससे अधिक ताकतवर होता है और ईश्वर की आराधना संपूर्ण दोषों को नष्ट और दूर करती है।
बहुत प्रभावी है संकटमाचन हनुमानाष्टक पाठ
वहीं श्रीराम कथा वाचक पंडित उमाशंकर भारद्वाज ने बताया कि, ऐसी मान्यता है कि कैसा भी बड़ा और भीषण संकट हो संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ अत्यंत प्रभावकारी है। कोरोना संक्रमण काल में इसका पाठ करने से हर बाधा का क्षय होता है और संकटों का अंत होता है। यदि संकट मोचन हनुमानाष्टक पाठ के साथ कुछ विशेष मंत्रों का जाप भी किया जाए तो यह और भी प्रभावशाली हो जाता है और रोगी को शीघ्र लाभ मिलता है।
॥मंत्र॥
राम कृपाँ नासहिं सब रोगा।
जौं एहि भाँति बनहिं संयोगा।।
सदगुर बैध वचन बिस्वासा।
संजम यह न बिषय कै आसा।।
रामचरितमानस के उत्तरकांड में कागभुशुण्डिजी गरुड़जी से कहते हैं कि, यदि श्रीराम जी की कृपा से इस प्रकार का संयोग बन जाए तो ये सब रोग नष्ट हाे जाएं। सदगुरु रुपी वैध के वचन में विश्वास हो, विषय-वासना की आशा ना करें, यहीं संयम (परहेज) हो।
॥संकटमोचन हनुमानाष्टक॥
बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारो ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ॥
देवन आन करि बिनती तब, छांड़ि दियो रबि कष्ट निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 1 ॥
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि,जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महा मुनि शाप दिया तब,चाहिय कौन बिचार बिचारो ॥
के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु,सो तुम दास के शोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥2॥
अंगद के संग लेन गये सिय,खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो ॥
हेरि थके तट सिंधु सबै तब,लाय सिया-सुधि प्राण उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥3॥
रावन त्रास दई सिय को सब,राक्षसि सों कहि शोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,जाय महा रजनीचर मारो ॥
चाहत सीय अशोक सों आगि सु,दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥4॥
बाण लग्यो उर लछिमन के तब,प्राण तजे सुत रावण मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ॥
आनि सजीवन हाथ दई तब,लछिमन के तुम प्राण उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥5॥
रावण युद्ध अजान कियो तब,नाग कि फांस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,मोह भयोयह संकट भारो ॥
आनि खगेस तबै हनुमान जु,बंधन काटि सुत्रास निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥6॥
बंधु समेत जबै अहिरावन,लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि,देउ सबै मिति मंत्र बिचारो ॥
जाय सहाय भयो तब ही,अहिरावण सैन्य समेत सँहारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥7॥
काज किये बड़ देवन के तुम,वीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,जो तुमसों नहिं जात है टारो ॥
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,जो कछु संकट होय हमारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥8॥॥
॥दोहा॥
॥लाल देह लाली लसे,अरू धरि लाल लंगूर ।
बज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपि सूर ॥
॥ इति संकटमोचन हनुमानाष्टक सम्पूर्ण ॥
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)