Sankranti 2022 Dates : वर्ष 2022 में कौनसी संक्रांति कब है, देखें नए साल का संक्रांति कैलेंडर
Sankranti 2022 Dates : ज्योतिष में सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक वर्ष में 12 संक्रांति होती हैं। अर्थात प्रत्येक माह में सूर्य एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं और वे जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उसी राशि के नाम पर उस संक्रांति नाम हो जाता है।;
Sankranti 2022 Dates : ज्योतिष में सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक वर्ष में 12 संक्रांति होती हैं। अर्थात प्रत्येक माह में सूर्य एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं और वे जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उसी राशि के नाम पर उस संक्रांति नाम हो जाता है। वहीं संक्रांति को हिन्दू धर्म में बहुत ही खास माना जाता है और इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं साल 2022 में कब कौन सी संक्रांति लगेगी और उसका पुण्यकाल क्या होगा।
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संक्राति कैलेंडर 2022 ( sankranti calendar 2022)
दिनांक | संक्रांति | वार |
14 जनवरी 2022 | मकर | शुक्रवार |
13 फरवरी 2022 | कुंभ | रविवार |
15 मार्च 2022 | मीन | मंगलवार |
14 अप्रैल 2022 | मेष | गुरुवार |
15 मई 2022 | वृषभ | रविवार |
15 जून 2022 | मिथुन | बुधवार |
16 जुलाई 2022 | कर्क | शनिवार |
17 अगस्त 2022 | सिंह | बुधवार |
17 सितंबर 2022 | कन्या | शनिवार |
17 अक्टूबर 2022 | तुला | सोमवार |
16 नवंबर 2022 | वृश्चिक | बुधवार |
16 दिसंबर 2022 | धनु | शुक्रवार |
संक्रांति का महत्व
मान्यताओं के अनुसार संक्रांति का महत्व पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी तिथि के समान ही माना जाता है। संक्रांति के दिन पवित्र नदी, सरोवर अथवा तीर्थ में स्नान करने का विधान हिन्दू धर्मशास्त्रों में बताया गया है। इस दिन पुण्यकाल में स्नान-दान, पुण्य और धार्मिक कार्य करने से मनुष्य का जीवन सफल होता है और उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, पापों से छुटकारा मिलता है और मृत्यु के उपरांत उसे अच्छे लोकों में स्थान मिलता है। संक्रांति के दिन किया गया दान विशेष महत्व रखता है, इस दिन किए गए दान का व्यक्ति को कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है।
ज्योतिष में 12 राशियां होती हैं, उन्हें मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन के नाम से जाना जाता है। सूर्यदेव प्रत्येक महीने इसी राशि में से किसी एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में चले जाते हैं और जिस दिन सूर्यदेव जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उसी राशि के नाम पर वह संक्रांति हो जाती है। वहीं सूर्यदेव एक राशि में करीब एक महीने तक ही गोचर करते हैं।
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।