व्रत, उपासना और प्यार के संग प्रकृति को समझने का नाम है सावन
श्रावण मास में वैसे तो भगवान की विशेष पूजा और आराधना की जाती है, लेकिन इसके साथ ही यह मास अपने आप में भी अनुपम है। समय-समय पर बरसते बादल, सौंधी-सौंधी सी मिट्टी की खुशबू, धूप और घटाएं चारों तरफ फैली हरियाली प्रकृति की सुन्दरता में चार चांद लगाती है। व्रत, उपासना और प्यार के संग प्रकृति को समझने का नाम है सावन।;
सावन के महीने में वैसे तो भगवान की विशेष पूजा और आराधना की जाती है, लेकिन इसके साथ ही यह माह अपने आप में भी अनुपम है। समय-समय पर बरसते बादल, काली-काली घटाएं सौंधी-सौंधी सी मिट्टी की खुशबू, धूप और चारों तरफ फैली हरियाली प्रकृति की सुन्दरता में चार चांद लगाती है। इसीलिए व्रत, उपासना और प्यार के संग प्रकृति को समझने का नाम है सावन।
इसके साथ ही इस माह में आने वाले कई पर्व लोगों के मन में भक्ति का संचार कर देते हैं। श्रावण माह इन कारणों से विशेष है क्योंकि इस दौरान भक्ति, आराधना तथा प्रकृति के कई रंग देखने को मिलते हैं।
सावन के महीने में ही कई प्रमुख त्योहार जैसे- हरियाली अमावस्या, हरियाली तीज, नागपंचमी शिवरात्रि तथा भाई-बहन के प्यार का पर्व रक्षा बंधन आदि आते हैं, जो हमें प्रकृति, जीवों और रिश्तों का महत्व बताते हैं। सावन में प्रकृति का सौंदर्य अपने चरम सीमा पर पर होता है।
इसलिए यह भी कहा जाता कि यह महीना प्रकृति को समझने व उसके निकट जाने का है। सावन की रिमझिम बारिश और प्राकृतिक वातावरण बरबस में ही मन में उल्लास व उमंग भर देती है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस माह की पूर्णिमा पर श्रवण नक्षत्र का योग बनता है। इसलिए श्रवण नक्षत्र के नाम से इस माह का नाम श्रावण हुआ। यह महीना चतुर्मास के चारों महीनों में सबसे अधिक शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है।