आज है सावन माह का अंतिम सोमवार, इस मंत्र और श्लोक से करें भगवान शिव को प्रसन्न
Sawan Last Monday 2023: सावन के अंतिम सोमवार के दिन शिव मंदिरों में भक्तों का ताता लगा हुआ है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई तरह के पूजा-पाठ और मंत्रों का जाप करना होता है। तो आइए, भगवान शिव को प्रसन्न करने के कुछ मंत्र...;
Sawan Last Monday 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, आज सावन माह का अंतिम सोमवार है। आज के दिन भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय कर रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अमोघ मंत्रों का जाप करना बेहद ही फायदेमंद हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, जो जातक भगवान शिव के मंत्रों का जाप करता है, उसके मस्तिष्क में ऊर्जा का संचार होने लगता है। इसके साथ ही जीवन में किसी तरह की कोई समस्या नहीं होती है। शिव मंत्रों का जाप करने से आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है।
ज्योतिषियों का कहना है कि सावन के अंतिम सोमवार के दिन शिव मंदिरों में भक्तों का ताता लगा हुआ है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई तरह के पूजा-पाठ और मंत्रों का जाप करते हैं। तो आज जानेंगे सोमवार के दिन किस मंत्र से भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं और उनकी कृपा पा सकते हैं।
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महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें-
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन सोमवार के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भक्तों को जीवन में सारे भय से मुक्ति मिल जाती है। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक माना जाता है।
भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ शंकराय नमः
ॐ महादेवाय नमः
ॐ महेश्वराय नमःॐ
श्री रुद्राय नमः
ॐ नील कंठाय नमः
भगवान महादेव को प्रसन्न करने के श्लोक
नमामीशमीशान निर्वाणरूपंविभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् .
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् .
निराकारमोंकारमूलं तुरीयंगिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् .
करालं महाकाल कालं कृपालं.गुणागार संसारपारं नतोऽहम्.
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरंमनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् .
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा .
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालंप्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालंप्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि।।
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशंअखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिंभजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम्।।
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारीसदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्द संदोह मोहापहारीप्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी।।
न यावत् उमानाथ पादारविन्दंभजन्तीह लोके परे वा नराणाम् न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशंप्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम्।।
न जानामि योगं जपं नैव पूजांनतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानंप्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो।।
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषयेये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।
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