Sawan Mass 2022: सावन मास में करें भगवान शिव की पूजा, ये ग्रह हो जाएंगे शांत और देंगे आपको अति शुभ फल

awan Mass 2022: सावन 2022 का महीना आरंभ हो चुका है। शिव और उनके भक्तों का विशेष माह ज्योतिषीय दृष्टि से भी विशेष माना गया है। मान्यता है कि, सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। सावन मास में की जाने वाली पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है। इतना ही नहीं भगवान शिव की कृपा सदैव अपने भक्तों पर बनी रहती है।;

Update: 2022-07-21 04:11 GMT

Sawan Mass 2022: सावन 2022 का महीना आरंभ हो चुका है। शिव और उनके भक्तों का विशेष माह ज्योतिषीय दृष्टि से भी विशेष माना गया है। मान्यता है कि, सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। सावन मास में की जाने वाली पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है। इतना ही नहीं भगवान शिव की कृपा सदैव अपने भक्तों पर बनी रहती है। पंचांग के अनुसार, सावन मास का प्रारंभ आज 14 जुलाई 2022 से हो चुका है, इस वर्ष सावन का महीना यानी श्रावण मास 29 दिनों का रहेगा। सावन का महीना 12 अगस्त 2022 को समाप्त हो जाएगा।

वहीं सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। शिव भक्त श्रवण यानि सावन मास में भगवान शिव की भक्ति में सराबोर रहते हैं। सावन मास में विधिपूर्वक पूजा करने से ग्रहों की भी शांति होती है। जिन लोगों की कुंडली में राहु-केतु, शनि, चंद्रमा आदि ग्रह यदि अशुभ फल प्रदान कर रहे हैं और आपका जीवन कष्टों से भरा हुआ है, जीवन में धन की कमी बनी रहती है, रोग आदि से छुटकारा नहीं मिल रहा है तो सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने से ग्रहों की अशुभता से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और परेशानियों का अंत हो जाता है। यही एक कारण है कि, सावन मास का लोग वर्षभर इंतजार करते हैं। सावन में भगवान शिव की पूजा इन सभी ग्रहों को शांत करने में सहायक मानी गई है।

शनिदेव

ज्योतिष शास्त्र में शनि को एक क्रूर ग्रह माना गया है। मान्यता है कि, शनिदेव साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा में अशुभ फल प्रदान करते हैं। इसी कारण से मनुष्य का जीवन कष्टों और परेशानियों से भर जाता है। सावन में शिव की पूजा करने से शनि की अशुभता दूर होती है। शनि भगवान शिव की पूजा करने से प्रसन्न होते हैं।

राहु-केतु

राहु-केतु को ज्योतिष शास्त्र में पाप ग्रह की श्रेणी में रखा गया है। ये दोनों ही ग्रह जीवन में अचानक होने वाली घटनाओं के कारक ग्रह हैं। राहु-केतु से कालसर्पदोष और पितृदोष जैसे खतरनाक योग बनते हैं। जिन लोगों की कुंडली में ये योग बनते हैं, उन्हें जीवन में सघर्ष करना पड़ता है। सावन में भगवान शिव की पूजा राहु-केतु और इन ग्रहों से बने दोषों को समाप्त करती है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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