शनि दोष के जातक पर क्या प्रभाव होते हैं, आप भी जानें
ज्योतिष के अनुसार शनि दोष दरअसल जातक की कुंडली में शनि की उस अवस्था को कहते हैं जिसमें वह कष्टदायक हों। इसके कई रूप हो सकते हैं। चूंकि शनि देव धीमी चाल से चलते हैं इसलिए शनि की मार भी लंबे समय तक पड़ती है। इस लिहाज से शनि की ढ़ैय्या, साढ़े साती भी शनि दोष ही मानी जाती है। तो आइए आप भी जानें श्रीराम कथावाचक पंडित उमाशंकर भारद्वाज के अनुसार शनि दोष के बारे में जरुरी बातें।;
ज्योतिष के अनुसार शनि दोष दरअसल जातक की कुंडली में शनि की उस अवस्था को कहते हैं जिसमें वह कष्टदायक हों। इसके कई रूप हो सकते हैं। चूंकि शनि देव धीमी चाल से चलते हैं इसलिए शनि की मार भी लंबे समय तक पड़ती है। इस लिहाज से शनि की ढ़ैय्या, साढ़े साती भी शनि दोष ही मानी जाती है। तो आइए आप भी जानें श्रीराम कथावाचक पंडित उमाशंकर भारद्वाज के अनुसार शनि दोष के बारे में जरुरी बातें।
शनि ग्रह अनुराधा नक्षत्र के स्वामी हैं। शनि ग्रह के प्रति अनेक आख्यान पुराणों में प्राप्त होते हैं। शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी शनि ग्रह के संबंध मे अनेक भ्रान्तियां और इसलिए उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी शनि को दुख देने वाला ग्रह मानते हैं। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नहीं है, जितना शनि को माना जाता है। इसलिए शनि शत्रु नहीं मित्र है। मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही होता है। सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को प्रताड़ित करते हैं।
चंद्र राशि के अनुसार जब शनि कुंडली के आठवें या चौथे स्थान में हो तो यह अवस्था शनि की ढ़ैय्या कहलाती है। इस दौरान जातक को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तौर पर काफी हानि उठानी पड़ती हैं और उसका जीवन कष्टप्रद हो जाता है।
चंद्र राशि के अनुसार ही जब शनि कुंडली के प्रथम, द्वितीय या द्वादश स्थान में हों तो शनि की यह अवस्था साढ़े साती कहलाती है।
शनि दोष के प्रभाव
जब किसी जातक की कुंडली में शनि दोष होता है तो शनि दोष के लक्षण इस प्रकार जातक के जीवन को प्रभावित करते हैं।
आलस्य- बीमारी
शनि दोष के कारण जातक के जीवन में आलस्य आ जाता है। उस जातक का किसी काम को करने में मन नहीं लगता है। और उसके मन में नकारात्मक विचार घर कर जाते हैं। उस जातक का बीमारियों के कारण स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है।
इश्कबाजी
शनि दोष के कुंडली में आने पर जातक के मन पर स्त्री गमन आदि विचार हावी रहते हैं। उसका मन इश्कबाजी में लगा रहता है। तथा किसी एक स्त्री के साथ नहीं बरन वह अनेक स्त्रियों के संपर्क में रहना चाहता है।
दरिद्रता
शनिदोष के कारण व्यक्ति के पास धन नहीं रूकता है। उसकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो जाती है। और धीरे-धीरे व्यक्ति दरिद्र हो जाता है।
जमीन- संपत्ति
शनि दोष का प्रभाव जातक की संपत्ति और जमीन आदि पर भी पड़ता है। शनि के प्रभाव के कारण ऐसे व्यक्ति की धन-संपत्ति आदि नष्ट हो जाती है। और जमीन आदि भी बिक जाती है।
इसके अलावा जातक की मांसादि खाने की इच्छा बहुत ज्यादा होने लग जाती है। और धन आदि के अभाव में जातक फकीर बन जाता है। तथा जातक के भाई-बंधु ही उसके दुश्मन बन जाते हैं। शनि के प्रभाव के कारण जातक के कारोबार या नौकरी में अचानक बाधाएं आ जाती हैं। ऐसे जातक के पास दौलत और जायदाद होते हुए भी जीवन दुखी हो जाता है। नशा छोड़ना चाहते हुए भी छोड़ना मुश्किल हो जाता है। उसके वैवाहिक जीवन में परेशानियों का आने लगती हैं। परेशानियों में घिर जाने के बाद जातक बहुत ज्यादा झूठ बोलना शुरू कर देता है।