Shani Jayanti 2023 Date-Time: साल 2023 में कब मनाई जाएगी शनि जयंती, जानें पूजा विधि और शांति के उपाय

Shani Jayanti 2023 Date-Time: भगवान शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। शनि भगवान सूर्य और छाया के बेटे हैं। कहते हैं कि पत्नी के श्राप के कारण इन्हें क्रूर माना जाता है। इनके प्रकोप से भगवान शिव भी नहीं बच सकते थे।;

Update: 2023-03-22 09:48 GMT

Shani Jayanti 2023 Date-Time: भगवान शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। शनि भगवान सूर्य और छाया के बेटे हैं। कहते हैं कि पत्नी के श्राप के कारण इन्हें क्रूर माना जाता है। इनके प्रकोप से भगवान शिव भी नहीं बच सकते थे, शनि देव की वक्री दृष्टि से बचने के लिए शिव जी हाथी का रूप धारण किया और कोकिला वन में रहे थे और रावण ने तो इन्हें बंदी ही बना लिया था। शनि जयंती हिंदू माह ज्येष्ठ की अमावस्या के दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन शनि अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि की महादशा से गुजर रहे जातकों के लिए यह दिन विशेष फल देने वाला है। इस साल यानी 2023 में शनि जयंती 19 मई 2023 को मनाई जाएगी। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई जातक शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा करता है तो इसका तुरंत फल मिलता है। शनि जयंती पर शनि देव की पूजा, दान और जप करने से हर तरह का संकट दूर हो जाता है।

शनि जयंती 2023 पूजा का समय

शनि जयंती की तारीख - मई 19, 2023

शनि जयंती दिन - शुक्रवार, मई 19, 2023

अमावस्या तिथि प्रारंभ - मई 18, 2023 को रात 9 बजकर 42 मिनट से

अमावस्या तिथि समाप्त मई 19, 2023 रात 9 बजकर 22 तक

शनि जयंती व्रत और पूजा विधि

  • सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  • इसके बाद शनि जयंती पर व्रत और पूजा का संकल्प लें।
  • फिर शुभ मुहूर्त में शनि मंदिर जाएं और शनिदेव के दर्शन करें। लेकिन उनकी आंखों में न देखें।
  • पूजा में नीले फूल, माला, अक्षत, धूप, दीप, गंध, सरसों का तेल, काला तिला, वस्त्र आदि सहित पूजन सामग्री शनिदेव को अर्पित करें।
  • इस दौरान शनि मंत्र का जाप करें। शनि चालीसा, शनि कवच, शनि स्तोत्र आदि का पाठ करें।
  • शनिदेव की आरती के साथ पूजा का समापन करें।
  • इसके बाद शनि देव से साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष से शांति की प्रार्थना करें।
  • पूजा के बाद गरीबों को उड़द की दाल, काला कपड़ा, लोहा, काले तिल, सरसों का तेल, जूता चप्पल, काला छाता, शनि चालीसा आदि दान करें। उन्हें खाना खिलाएं।
  • दिन भर फल आदि का सेवन करें। शाम को शनिदेव की संध्या आरती करें। रात्रि में जागरण करें और अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।

शनि शांति उपाय

1. शनि के दुष्प्रभाव से होने वाले दुखों और पीड़ाओं से मुक्ति का सबसे आसान उपाय है हनुमानजी या भगवान शंकर की भक्तिपूर्वक पूजा करना। रुद्राभिषेक भगवान शंकर को सबसे प्रिय है और वाल्मीकि या तुलसीकृत सुंदरकांड का पाठ करने से पवनपुत्र शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

2. शनि के वैदिक या तांत्रिक मंत्रों के साथ-साथ शनि स्तोत्र का पाठ करने से भी शनि के सभी दुष्प्रभाव दूर हो जाते हैं।

3. अशुभ शनि की शांति के लिए शनिवार के व्रत के साथ ही भगवान शंकर को दूध या तिल प्रतिदिन चढ़ाना चाहिए।

4. प्रत्येक शनिवार को शनि मंदिर में जाकर शनिदेव के दर्शन करना और उन्हें सरसों का तेल चढ़ाना और दीपक जलाना लाभकारी होता है।

5. रात के समय शिव मंदिर, हनुमान मंदिर या पीपल के पेड़ के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

शनिदेव की आरती

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शनिदेव के मंत्रों का जाप

ऊँ शं शनैश्चराय नमः।

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।

छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

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