Navratri Special: पाकिस्तान में मौजूद है माता दुर्गा का पहला शक्तिपीठ, जानें क्या है इतिहास

Navratri Special: शारदीय नवरात्रि के पर्व पर माता के दर्शन के लिए मंदिरों के साज सजावट की तैयारियां शुरू हो गई हैं। माता रानी के 51 शक्तिपीठों में से पहला पाकिस्तान में मौजूद है। जानें इस खास मंदिर के बारे में...;

Update: 2023-10-07 09:14 GMT

Navratri Special: नवरात्रि पर्व के आरंभ होने में मात्र कुछ दिन ही शेष बचे हैं। माता रानी के आगमन की तैयारियां शुरू हो चुकी है। चारों तरफ माता के पंडाल और मंदिरों की सजावट शुरू हो गई है। 15 सितंबर से शारदीय नवरात्रि का शुभारम्भ हो जाएगा। नवरात्रि के दौरान माता के मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। इन दिनों माता के मंदिरों और देवी के 51 शक्तिपीठ में एक अलग ही चमक देखने को मिलती है। नवरात्रि पर्व को दौरान इस मंदिर में माता की विशेष पूजा की जाती है।

इस पर्व की चमक न सिर्फ भारत, बल्कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी देखने को मिलती है। यह मंदिर माता का कोई आम मंदिर नहीं, बल्कि 51 शक्तिपीठ में से एक है। आइए जानते हैं माता के इस शक्तिपीठ का इतिहास...

आजादी से पहले पाकिस्तान भारत में शामिल था। बंटवारे के बाद अनेकों हिन्दू मंदिर पाकिस्तान के हिस्से आए, उनमें से माता का शक्तिपीठ भी एक है। इस शक्तिपीठ का नाम हिंगलाज शक्तिपीठ (Hinglaj Shaktipeeth in Pakistan) है।

हिंगलाज शक्तिपीठ 

आपको बता दें कि माता हिंगलाज का सिद्ध पीठ (Hinglaj Shaktipeeth) पाकिस्तान में है। माता हिंगलाज को 51 शक्तिपीठ में पहला स्थान प्राप्त है। यह मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान शहर के हिंगोल नदी के किनारे स्थित अघोर पर्वत पर मौजूद है। यह मंदिर छोटी सी गुफा में मौजूद है, जहां पर माता की मिट्‌टी से बनी प्रतिमा रखी हुई है। इस मंदिर को हिंगुला और कोटारी के नाम से भी जाना जाता है।

हिंगलाज को मुस्लिम मानते हैं हज

हिंगलाज मंदिर को हिंदू समुदाय के लोग शक्तिपीठ मनाते हैं, तो वहीं मुस्लिम कम्युनिटी के लोग इसे नानी का हज के रूप में मनाते हैं। पाकिस्तान में रहने वाले मुस्लिम लोग माता के इस मंदिर पर आस्था और विश्वास रखते हैं। इसके साथ ही मंदिर को खास सुरक्षा प्रदान करते हैं। मुस्लिम लोग इस मंदिर को 'नानी का मंदिर' भी कहते हैं।

पहला शक्तिपीठ के पीछे का कारण

धार्मिक मान्यता के अनुसार, सतयुग में जब देवी सती यानी माता पार्वती ने अपने देह को अग्निकुंड में न्योछावर कर दिया था। उस समय भगवान शिव शंकर ने माता पार्वती के देह को लेकर तांडव शुरू किया, जिसकी वजह से ब्रह्मांड में उथल-पुथल मच गई। भगवान शिव को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को टुकड़ों में विभाजित कर दिया था। ऐसा कहा जाता है कि माता सती के शरीर का पहला टुकड़ा यानी सिर का एक हिस्सा पाकिस्तान में स्थित अघोर पर्वत पर गिरा था। इसी वजह से पाकिस्तान में मौजूद हिंगलाज मंदिर पहला शक्तिपीठ बना।

हिंगलाज नाम पड़ने के पीछे की कहानी 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पाकिस्तान में हिंगोल नाम का एक कबीला राज करता था, जिसके राजा का नाम हंगोल बहादुर था। राजा को कई बुरी आदतों की लत लग गई थी, जिसकी वजह से कबीले के लोग परेशान हो गए। परेशान होने के बाद जब उन्हें कोई मार्ग समझ नहीं आया, तब उन्होंने देवी माता से राजा को सही राह पर लाने की प्रार्थना की। देवी मां ने काबिले के लोगों की विनती सुनी। जिसकी वजह से कबीले का मान-सम्मान बरकरार रहा। इसी कारण इस मंदिर का नाम यहां के लोगों ने हिंगलाज माता रख दिया। 

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