Shardiya Navratri 2020 Date And Time: शारदीय नवरात्रि 2020 में कब है, जानिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा

Shardiya Navratri 2020 Date And Time: अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की तिथि से नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि का त्योहार (Shardiya Navratri Festival) मनाया जाता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा (Goddess Durga) के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। जिसके बाद महानवमी (Maha Navmi) के दिन कन्या पूजन के साथ ही मां दुर्गा को विदा कर दिया जाता है। माना जाता है कि इन नौ दिनों में स्वंय मां दुर्गा धरती पर उपस्थित रहकर अपने भक्तों को आर्शीवाद देती हैं। यदि आप भी शारदीय नवारात्रि पर मां दुर्गा की आराधना करना चाहते हैं तो आपको शारदीय नवरात्रि 2020 में कब है, शारदीय नवरात्रि के घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, शारदीय नवरात्रि का महत्व,शारदीय नवरात्रि की पूजा विधि और शारदीय नवरात्रि कथा के बारे में अवश्य जान लेना चाहिए।;

Update: 2020-08-12 09:47 GMT

Shardiya Navratri 2020 Date And Time: चैत्र मास की नवरात्रि के बाद अश्विन मास के शुक्ल पक्ष के नवरात्रों को विशेष महत्व दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई साधक पूरी श्रद्धा के साथ इन नौ दिनों में मां दुर्गा की आराधना करता है तो न केवल उसके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं बल्कि उसे जीवन के सभी सुख भी प्राप्त होते हैं तो आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि 2020 में कब है (Shardiya Navratri 2020 Mein Kab Hai), शारदीय नवरात्रि के घटस्थापना का शुभ मुहूर्त (Shardiya Navratri Ghatasthapana Shubh Muhurat ), शारदीय नवरात्रि का महत्व (Shardiya Navratri Ka Mahatva),शारदीय नवरात्रि की पूजा विधि (Shardiya Navratri Puja Vidhi) और शारदीय नवरात्रि कथा (Shardiya Navratri Story)


शारदीय नवरात्रि 2020 तिथि (Shardiya Navratri 2020 Tithi)

17 अक्टूबर 2020

शारदीय नवरात्रि 2020 घटस्थापना शुभ मुहूर्त (Shardiya Navratri 2020 Ghatasthapana Shubh Muhurat)

घटस्थापना मुहूर्त - सुबह 6 बजकर 23 मिनट से सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक

घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - सुबह 11बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - रात 01 बजे से (17 अक्टूबर 2020 )

प्रतिपदा तिथि समाप्त - रात 09 बजकर 08 मिनट तक (17 अक्टूबर 2020)

चित्रा नक्षत्र प्रारम्भ - दोपहर 02 बजकर 58 मिनट से (16 अक्टूबर 2020)

चित्रा नक्षत्र समाप्त - अगले दिन सुबह 11 बजकर 52 मिनट तक (17 अक्टूबर 2020)


शारदीय नवरात्रि का महत्व (Shardiya Navratri Importance)

नवरात्रि साल में चार बार आती है। जिसमें से पहली नवरात्रि चैत्र मास में आती है तो दूसरी नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। इसके अलावा दो गुप्त नवरात्रियां होती है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास और अश्विन मास की नवरात्रि को ही विशेष माना जाता है। शारदीय मास की नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस समय में किया गया जप,तप और हवन साधक को विशेष लाभ पहुंचाता है।

शारदीय नवरात्रि के नवें दिन महानवमी का त्योहार मनाया जाता है और मां दुर्गा को विदा कर दिया जाता है। इसके बाद महनवमी के अगले दिन विजयदशमी यानी दशहरे का त्योहार मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवत पूजा - अर्चना और व्रत करने से न केवल जीवन की सभी समस्याएं समाप्त होती है। बल्कि जो लोग इन नवरात्रों में सिद्धियों के लिए मां दुर्गा की आराधना करते हैं उन्हें सिद्धियां भी प्राप्त होती है।


शारदीय नवरात्रि पूजन विधि (Shardiya Navratri Pujan Vidhi)

1. शारदीय नवरात्रि के पूजा से एक दिन पहले ही आपको पूजा की सामग्री एकत्रित कर लेनी चाहिए।इसके बाद शारदीय नवरात्रि को स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. इसके बाद एक चौकी पर गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करके उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें और कलश की स्थापना करें।

3. कलश की स्थापना करने के बाद मां दुर्गा को लाल वस्त्र,लाल फूल, लाल फूलों की माला और श्रृंगार आदि की वस्तुएं अर्पित करें और धूप व दीप जलाएं।

4. यह सभी वस्तुएं अर्पित करने के बाद गोबर के उपले से अज्ञारी करें। जिसमें घी, लौंग, बताशे,कपूर आदि चीजों की आहूति दें।

5.इसके बाद नवरात्रि की कथा पढ़ें और मां दुर्गा की धूप व दीप से आरती उतारें और उन्हें प्रसाद का भोग लगाएं।


शारदीय नवरात्रि की कथा (Shardiya Navratri Story)

पौराणिक कथा के अनुसार एक समय महिषासुर ने देवलोक पर अपनाा अधिपत्य कर लिया था। वह सभी देवताओं का अंत करना चाहता था। महिषासुर को भैंसा दानव भी कहा जाता था। महिषासुर तीनों लोक पर अपना कब्जा करना चाहता था। कोई भी देवता उसका सामना नहीं कर सकता था। इसलिए सभी देवता ब्रह्मा जी के पास इस समस्या के समाधान के लिए गए। सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी से यह आग्रह किया कि वह इस समस्या का कोई समाधान उन्हें बताएं।

इसके बाद सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों का उपयोग करके देवी दुर्गा का निर्माण किया। मां दूर्गा की उत्पत्ति सभी देवताओं की शक्तियों से ही किया जा सकता था। जिससे महिषासुर का अंत किया जा सके। मां दुर्गा का रूप अत्ंयत ही सुंदर और मोहक था। मां के मुख से करुणा, दया, सौम्यता और स्नेह झलकता है। मां की दस भुजाएं हैं और सभी भुजाओं अलग- अलग अस्त्र से सुशोभित हैं। सभी देवताओं की और से उन्हें अस्त्र प्राप्त थे।

भगवान शिव ने त्रिशुल, भगवान विष्‍णु ने चक्र, भगवान वायु ने तीर आदि दिए हैं। जिससे वह पापियों का अंत कर सकें और धरती पर पुन: धर्म की स्थापना कर सकें। मां शेर की सवारी करती हैं। यह शेर हिमावंत पर्वत से लाया गया था। महिषासुर को यह वरदान था कि वह किसी कुंवारी कन्या के हाथों ही मरेगा। जिस समय मां महिषासुर के सामने गई। वह मां के रूप पर अत्यंत मोहित हो गया और मां को अपने आधीन के लिए कहा।

मां को उसकी इस बात पर अत्यंत क्रोध आया और मां ने उसका वध कर दिया। मां ने अपने शास्त्रों का प्रयोग करके उसे मार डाला तो मां के शेर ने भी उसके शरीर का रक्तपान किया। इसी वजह से हर साल नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है और मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। 

जानिए सिद्ध कुंजिका मंत्र और जाप का तरीका (Sidh Kunjika Mantra Or Jaap Ka Tarika)

।।ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ऊं ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

अर्थात आप सिद्ध कुंजिका मंत्र का गुदगुदाकर जप करें। और आपकी अवाज दूर तक नहीं जानी चाहिए। सिद्ध कुंजिका मंत्र का जाप 15 मिनट तक करें। और इस तरह से इस अभ्यास को 41 दिन तक नियमित रूप से करें। इसके बाद आप देखेंगे कि सिद्ध कुंजिका मंत्र के चमत्कारी प्रभाव से आपकी मनोकामना जल्दी ही पूरी होगी। और इस तरह आश्चर्य जनक परिणाम देखकर आप चकित हो जाएंगे।

शारदीय नवरात्रि अखंड ज्योत का महत्व (Shardiya Navratri Akhand Jyoti Importance)

शारदीय नवरात्रि पर अखंड ज्योत जलाना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। जो पूरे नौ दिनों तक जलती ही रहनी चाहिए। माना जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा का वास घर में होता है और अखंड ज्योत जलाने से मां दुर्गा प्रसन्न होती है और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इसलिए नवरात्रि पर अखंड ज्योत जलाना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

मां दुर्गा की आरती (Goddess Durga Aarti)

जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।

तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥

मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।

सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥

शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।

बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥

भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।

मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।

श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।

कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥

Tags:    

Similar News