Shardiya Navratri 2020: व्रत क्या है, आप भी जानें
Shardiya Navratri 2020 Date Time: शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 की शुरूआत हो रही है। मां दुर्गा के सभी भक्त इस दौरान व्रत-उपवास और मां की अराधना करते हैं। लेकिन कई बार लोग व्रत-उपवास आदि का संकल्प तो ले लेते हैं और व्रत-उपवास रखते भी हैं लेकिन उन्हें इस दौरान व्रत में भूखे रहने से कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।;
Shardiya Navratri 2020 Date Time: शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 की शुरूआत हो रही है। मां दुर्गा के सभी भक्त इस दौरान व्रत-उपवास और मां की अराधना करते हैं। लेकिन कई बार लोग व्रत-उपवास आदि का संकल्प तो ले लेते हैं और व्रत-उपवास रखते भी हैं लेकिन उन्हें इस दौरान व्रत में भूखे रहने से कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जबकि व्रत -उपवास का अर्थ ही होता है निराहार रहना। आप भोजन करते हुए भी नवरात्रि का व्रत कर सकते हैं। तो आइए आप भी जानें व्रत और उपवास का वास्तविक अर्थ क्या है।
व्रत शब्द वरन से बना है। वरन करने का अर्थ होता है चुनना। इसका अर्थ है कि हम विशिष्ट दिनों के लिए, विशेष तिथियों के लिए विशेष पर्वों के लिए कुछ खास नियमों को चुनते हैं। इस बारे में शास्त्रों में भी अनेक नियम बताये गए हैं जिन्हें आप चुन सकते हैं। अगर आपने किसी को अपना गुरू बनाया हुआ है तो आप उनके अनुसार बनाए गए नियमों का भी इस दौरान पालन कर सकते हैं। वैसे तो साधारण शब्दों में जो भी चीज, रूल, नियम आपके लिए कठिन हो उन चीजों और नियमों को चुनना ही व्रत कहा जाता है। इसलिए व्रत का अर्थ मूलरूप से नियमों का पालन करना ही है।
निराहार रहना, दिन में एक समय फलाहार करना, निर्जला व्रत का पालन करना आदि ये सब नियमों के ही प्रकार हैं। इसलिए अगर आप भूखें नहीं रह सकते हैं तो आप दूसरे प्रकार के नियमों का पालन कर लीजिए। जैसे सत्यव्रत, यानि की सत्य बोलना, मौन व्रत, यानि कुछ बोलना ही नहीं है। अर्थात समय निर्धारित करके उस समयाविधि में कुछ बोलना ही नहीं है। अक्रोध व्रत, यानि कि हम नवरात्रि अथवा जिस भी पर्व के दौरान हमने ऐसा संकल्प लिया है हम उस दौरान चाहे कुछ भी हो जाए परन्तु हम क्रोध नहीं करेंगे। ब्रह्मचर्य व्रत, यानि हमें इसं संकल्प के अनुसार अपने मन में किसी के प्रति कोई गलत विचार भी अपने मन में नहीं लाना है। केवल अपने आराध्य में ही इस दौरान अपने मन को लगाना है। इसके अलावा आपको जो भी चीज कठिन लगती है आप उसका पालन करें। किसी दूसरे व्यक्ति का अनादर नहीं करना ये भी एक प्रकार का व्रत ही है। किसी के मन को नहीं दुखाएंगे। यह भी व्रत का ही नियम है।
नियमित रूप से मंत्र जाप आदि जो भी आपको अच्छा लगता है आप इस दौरान कर सकते हैं। यानि कि आप जिन नियमों को कर नहीं पा रहे हैं और जो नियम आपके लिए कठिन हैं उन सब नियमों का संकल्प लेना ही व्रत है। इसलिए व्रत के दौरान निराहार रहना, एक समय भोजन करना अथवा भोजन ना करना ये सब एक विकल्पों में से हैं। जो लोग स्वाद इंद्रियों के ऊपर नियंत्रण नहीं कर पाते हैं। स्वाद इंद्रियों को प्रतिदिन, हर समय कुछ ना कुछ चाहिए होता है तो उसके लिए शास्त्रों में कई प्रकार बताए गए हैं। इसलिए नवरात्रि व्रत अथवा किसी भी व्रत के अंदर केवल भूखा रहना ही व्रत नहीं होता है। भूखा रहना व्रत का केवल एक विकल्प है, प्रकार है। इसलिए अनेक प्रकार के व्रत हो सकते हैं। और आप अपनी इच्छा से कोई भी व्रत चुन सकते हैं। कि आपको कौनसा व्रत लेना है।