Shardiya Navratri 2020 Kab Hai: नवरात्रि के तीसरे दिन इस विधि से करें मां चंद्रघंटा की पूजा,जीवन भर भय नहीं भटकेगा पास
Shardiya Navratri 2020 Kab Hai: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा (Goddess Chandraghanta Puja) की जाती है। मां चंद्रघंटा की विधिवत पूजा करने से सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है। लेकिन यदि आप मां चंद्रघंटा की पूजा विधि नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि।;
Shardiya Navratri 2020 Kab Hai: मां दुर्गा (Goddess Durga) के तीसरे स्वरूप को मां चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है और नवरात्रि (Navratri) के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की ही पूजा का विधान है। लेकिन यदि आप मां चंद्रघंटा की पूजा विधिवत नहीं करते तो आपको नवरात्रि के व्रत का फल प्राप्त नहीं होगा और न हीं आपको मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त हो सकेगा तो आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा की संपूर्ण विधि।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि (Goddess Chandraghanta Puja Vidhi)
1.मां चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। इस दिन साधक को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
2. इसके बाद एक साफ चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़के और उस पर कोरा वस्त्र बिछाएं।
3. वस्त्र बिछाने के बाद मां चंद्रघंटा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
4.इसके बाद मां चंद्रघंटा का रोली से तिलक करें और उन्हें चमेली से बने फूलों की माला पहनाएं और चमेली के ही फूल अर्पित करें।
5.माता को पुष्प अर्पित करने के बाद वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान आदि भी अर्पित करें
6.इसके बाद धूप व दीप जलाएं और पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। मंत्र का जाप करते हुए पुष्प अर्पित करें और मां कि विधिवत पूजा करें।
7.इसके बाद मां चंद्रघंटा की विधिवत पूजा करें। उनकी कथा पढ़ें या सुनें।
8.यदि संभव हो तो इस दिन दुर्गा सप्तशती का भी पाठ करें और उसके बाद मां चंद्रघंटा की कपूर से आरती उतारें।
9.इसके बाद मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं और इसके साथ ही सेब और गुड़ का भी भोग लगाएं।
10. अंत में मां से पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें और माता को भोग लगाने के बाद बची हुई मिठाई को प्रसाद को रूप में बांट दें और स्वंय भी ग्रहण करें।