Shardiya Navratri 2020 Kab Se Prarambh Hai : जानिए मां ब्रह्मचारिणी की कथा

Shardiya Navratri 2020 Kab Se Prarambh Hai : शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा (Goddess Brahmacharini Puja) से लक्ष्य को प्राप्त करने का बल प्राप्त होता है लेकिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा उनकी कथा के बिना अधूरी ही मानी जाती है तो चलिए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की कथा।;

Update: 2020-09-25 08:37 GMT

Shardiya Navratri 2020 Kab Se Prarambh Hai : शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 (Shardiya Navratri 17 Octorber 2020) से प्रारंभ हो रही है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस दिन मां की विधिवत पूजा करने से जप,त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम में वृद्धि होती है। लेकिन यदि आप इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की कथा (Goddess Brahmacharini Story) अगर नहीं पढ़ते या सुनते तो आपकी यह पूजा अधूरी ही रह जाएगी। इसलिए इस दिन आपको मां ब्रह्मचारिणी की कथा अवश्य ही सुननी चाहिए तो आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की संपूर्ण कथा।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा (Maa Brahmacharini Ki Katha)

एक कथा के अनुसार जब माता पार्वती ने अपने माता पिता से भगवान शिव के साथ विवाह करने की इच्छा प्रकट की तो उनके माता पिता इस बात के लिए नहीं मानें। जिसके बाद वह अपने माता पिता को भी अपने विवाह के लिए मनाने की कोशिश करने लगी। भगवान शिव वैरागी थे। इसलिए माता पार्वती ने उन्हें कामुक करने के लिए कामदेव से सहायता मांगी। एक बार जब भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे तब कामदेव ने अपना कामवासना बाण भगवान शिव पर चला दिया।

जिससे भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई और भगवान शिव कामदेव पर अत्याधिक क्रोधिक हो गए। जिसके बाद उन्होंने अग्नि का रूप ले लिया और स्वंय के साथ- साथ कामदेव को भी जला दिया। जब भगवान शिव ने अग्नि का स्वरूप ले लिया तो माता पार्वती ने सभी कुछ त्याग कर भगवान शिव की तरह ही जीना आरंभ कर दिया। माता पार्वती ने पहाड़ पर जाकर कई सालों तक तपस्या की इसी कारण से ही उन्हें ब्रह्मचारिणी के नाम से भी जाना जाता है।

माता पार्वती ने भगवान शिव की बहुत ही कठिन तपस्या करके उनका ध्यान अपनी और आकर्षित कर लिया। जिसके बाद भगवान शिव माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हो गए और रूप बदलकर माता पार्वती के सामने जाकर प्रकट हो गए। इसके बाद भगवान शिव माता पार्वती के सामने अपनी ही बुराई करने लगे। लेकिन माता पार्वती ने उनकी कोई भी बात नहीं सुनीं और उन्हें ही भला बुरा कह दिया। जिसके बाद भगवान शिव अपने असली रूप में आए और उन्हें विवाह का वरदान दे दिया।  

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