Shardiya Navratri 2020 Kab Se : जानिए शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
Shardiya Navratri 2020 Kab Se : शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri ) के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा (Goddess Brahmacharini Puja) की जाती है। यह मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप कहलाता है। मां ने अपने इस स्वरूप में सफेद रंग के वस्त्र धारण किए हैं और वह अपने एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में कमंडल लिए हुए हैं। तो चलिए जानते हैं शारदीय नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व।;
Shardiya Navratri 2020 Kab Se : शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 (Shardiya Navratri 17 October 2020) से प्रारंभ हो रही है। नवरात्रि (Navratri) के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। मां का यह स्वरूप अत्यंत ही शांत हैं। जिसमें वह अपने भक्तों से शीघ्र ही प्रसन्न होकर उन्हें अपना आशीर्वाद देती हैं। इसके अलावा क्या है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व आइए जानते हैं...
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व (Maa Brahmacharini Ki Puja Ka Mahatva)
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी के इस रूप की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम में बढ़ोतरी होती है। इतना ही नहीं नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से उनके भक्तों को सभी तरह की सिद्धियां और अपने सभी कामों में सफलता प्राप्त होती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से जीवन के सभी कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।
मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से मनुष्य को जीवन में सदाचार और नियम से जीने की सीख मिलती है। मां ब्रह्मचारिणी का रूप अत्यंत ही भव्य और तेजस्वीं है। अगर मां के स्वरूप की बात करें तो मां ब्रह्मचारिणी ने सफेद रंग के वस्त्र धारण किए हैं। उनकी दो भुजाएं हैं। जिसमें उन्होंने अपने एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में माला धारण की है। मां ब्रह्मचारिणी को साश्रात् ब्रह्म का रूप भी माना जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से कृपा और भक्ति की प्राप्ति होती है। मां का यह स्वरूप अपने भक्तों को भक्ति में लीन रहना सीखाता है। इस रूप में मां अपने भक्तों को अपने कर्तव्य के प्रति लग्न और निष्ठा प्रदान करती हैं। जिस तरह से मां ने जब तक भगवान शिव को पा नहीं लिया था। तब तक वह तपस्या करती रही थी। उसी प्रकार से मनुष्य भी जब तक अपने लक्ष्य को प्राप्त न कर ले उसे भी अपनी कोशिश नहीं छोड़नी चाहिए।