Shardiya Navratri 2020 Mein Kab Hai: जानिए दूसरे नवरात्र पर किस विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

Shardiya Navratri 2020 Mein Kab Hai: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा (Goddess Brahmacharini Puja) की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम में बढ़ोतरी होती है तो चलिए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि।;

Update: 2020-09-25 06:54 GMT

Shardiya Navratri 2020 Mein Kab Hai: शारदीय नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 18 अक्टूबर 2020 को की जाएगी। मां ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा (Goddess Durga) का दूसरा स्वरूप है। मां के इस स्वरूप की पूजा करने से उनके भक्तों को भक्तों को अपने कर्तव्य के प्रति लग्न और निष्ठा प्रदान होती है। लेकिन यदि आप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधिवत नहीं करते तो आपको आपकी पूजा का कोई भी लाभ प्राप्त नहीं होगा और यदि आप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि नहीं जानते तो हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की संपूर्ण पूजा विधि (Goddess Brahmacharini Sampurn Puja Vidhi)

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि (Goddess Brahmacharini Puja Vidhi)

1. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। इस दिन साधक को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए और सफेद रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।

2.इसके बाद एक साफ चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़कें और उस पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं।

3. चौकी पर कपड़ा बिछाने के बाद मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

4. इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी को दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान कराएं।

5. माता को स्नान कराने के बाद मां ब्रह्मचारिणी का रोली और चंदन से तिलक करें और उन्हें अरूहूल का फूल व कमल का फूल,अक्षत, फल ,नैवेद्य आदि अर्पित करें।

6. इसके बाद हाथ में फूल लेकर इधाना कदपद्माभ्याममक्षमालाक कमण्डलु देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्त्मा मंत्र का जाप करें।

7.मंत्र जाप के बाद मां ब्रह्मचारिणी की विधिवत पूजा करें। उनकी कथा सुनें या पढ़ें।

8. इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी की धूप व दीप से आरती उतारें।

9. मां ब्रह्मचारिणी की आरती उतारने के बाद उन्हें मिठाई का भोग लगाएं।

10. इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी से पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना करें और माता को भोग लगाने के बाद बची हुई मिठाई को प्रसाद के रूप में बाटें और स्वंय भी ग्रहण करें। 

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