Shardiya Navratri 2020 Mein Kab Hai : जानिए शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व

Shardiya Navratri 2020 Mein Kab Hai : शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा (Goddess Chandraghanta Puja) की जाती है। मां चंद्रघंटा सिंह पर सवार हैं और उनकी दस भुजाएं हैं। वह अपनी सभी भुजाओं में अस्त्र और शस्त्रों को धारण करती हैं। मां दुर्गा का यह स्वरूप अत्यंत ही कल्याणकारी है तो चलिए जानते हैं नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व।;

Update: 2020-09-26 11:01 GMT

Shardiya Navratri 2020 Mein Kab Hai : शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 (Shardiya Navratri 17 October 2020) को प्रारंभ हो रही है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा (Goddes Durga) के सभी नौ रूपों की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप मां चंद्रघंटा को माना जाता है और नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की ही पूजा की जाती है तो आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व।

मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व (Maa Chandraghanta Puja Ka Mahatva)

शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। यह मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप माना जाता है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से सहास में वृद्धि होती है और भय से मुक्ति मिलती है। मां चंद्रघंटा को शुक्र ग्रह की आधिपत्य देवी माना जाता है। इसलिए मां चंद्रघंटा की पूजा करने से शुक्र ग्रह के सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं तीसरे नवरात्र को मां चंद्रघंटा की पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

तंत्र साधना में मां का यह स्वरूप मणिपुर चक्र को जाग्रत करता है। मां चंद्रघंटा के स्वरूप की बात करें तो इनका शरीर स्वर्ण को समान है और वह सिंह पर सवार हैं जो हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहती हैं। मां के माथे पर अर्ध वृत्ताकार चंद्रमा स्थापित है जो उनके माथे पर घंटी के सामान लगता है।इसी कारण से मां दुर्गा के इस स्वरूप को मां चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। मां की दस भुजाएं हैं। जो अस्त्र शस्त्रों से सुशोभित हैं। वह हमेशा ही दुष्टों के संहार के लिए तैयार रहती हैं।

मां दुर्गा का यह स्वरूप उनके भक्तों के लिए अत्यंत ही कल्याणकारी है। मां चंद्रघंटा की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को यश, कीर्ति और सम्मान और मान सम्मान की प्राप्ति होती है। माता अपने भक्तों को इस लोक में तो सभी प्रकार के सुख प्रदान करती ही हैं साथ ही मृत्यु के बाद भी अपने भक्तों पर मोक्ष प्रदान करती हैं। मां की पूजा करने से उनके भक्त लम्बी आयु, सुख सम्पदा और रोग मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 

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