Shardiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि 2022 में माता का आगमन और प्रस्थान कैसे होगा, जानें इसके ये गुप्त संकेत और उपाय
Shardiya Navratri 2022: वैसे तो मातारानी की सवारी शेर है, लेकिन नवरात्रि में उनका आगमन के दिनों के अनुसार उनकी सवारी बदलती रहती है। प्रत्येक साल नवरात्रि पर मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान एक विशेष वाहन पर होता है, वहीं मां के आगमन और प्रस्थान के वाहन में ही भविष्य के कई विशेष संकेत छिपे रहते हैं।;
Shardiya Navratri 2022: वैसे तो मातारानी की सवारी शेर है, लेकिन नवरात्रि में उनका आगमन के दिनों के अनुसार उनकी सवारी बदलती रहती है। प्रत्येक साल नवरात्रि पर मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान एक विशेष वाहन पर होता है, वहीं मां के आगमन और प्रस्थान के वाहन में ही भविष्य के कई विशेष संकेत छिपे रहते हैं। वहीं अब साल 2022 में शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 26 सितंबर 2022, दिन सोमवार से हो रहा है और इस वर्ष मातारानी हाथी पर सवार होकर मृत्युलोक में आ रही हैं। जिसे शुभ और अशुभ दोनों ही संयोग के रुप में देखा जा रहा है। क्योंकि हाथी पर मातारानी के आगमन से बरसात अच्छी होती है और फसल भी अच्छी होती है। जोकि हमारी आर्थिक व्यवस्था के लिहाज से बहुत अच्छा और शुभ संकेत है। जिससे आने वाले दिनों में हमारी आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है। परन्तु हमें इस दौरान सचेत रहने की भी बहुत आवश्यकता है, वहीं बीते वर्ष मां दुर्गा डोली में सवार होकर पृथ्वी लोक पर आई थी, जिससे पूरा जनमानस एक महामारी की चपेट में आ गया और वर्तमान में भी इस भारी विपदा से मुक्त नहीं हो सका है। तो आइए जानते हैं नवरात्रि में माता के आगमन और प्रस्थान से जुड़ी बातों के बारे में...
शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता ।।
गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।
नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।
अर्थात नवरात्रि की प्रथम पूजा यानि कलश स्थापना सोमवार, रविवार को होती है तो माता दुर्गा भवानी हाथी पर सवार होकर पृथ्वी लोक में आती हैं। वहीं शनिवार और मंगलवार में कलश स्थापना होने पर माता दुर्गा भवानी अश्व पर सवार होकर पृथ्वी लोक में आती हैं। तथा गुरूवार और शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता दुर्गा भवानी डोली में बैठकर पृथ्वी लोक में आती हैं। वहीं बुधवार के दिन कलश स्थापना की पूजा संपन्न होने पर माता भवानी नाव में बैठकर पृथ्वी लोक में आती हैं।
वहीं जिस तरह से माता के आगमन की सवारी दिनों के अनुसार निश्चित होती है, उसी प्रकार माता के प्रस्थान की सवारी भी निश्चित होती है।
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
अर्थात माता दुर्गा भवानी का प्रस्थान रविवार या सोमवार को होने पर माता भैंसे पर बैठकर अपने लोक के लिए प्रस्थान करती हैं, जिसके कारण देश और दुनिया में रोग और शोक का वातावरण बना रहता है। वहीं शनिवार या मंगलवार के दिन माता भवानी मुर्गे पर सवार होकर अपने लोक को जाती हैं, जिससे जनमानस में दुख और कष्ट की वृद्धि होती है। बुधवार और शुक्रवार के दिन माता भवानी हाथी पर सवार होकर जाती हैं, जिससे वर्षा अच्छी होती है और वहीं गुरुवार के दिन मां भवानी मनुष्य की सवारी करती हैं, जिससे देश और दुनिया में सुख और शांति की वृद्धि होती है।
वहीं इस साल शारदीय नवरात्रि के बाद दशमी तिथि 05 अक्टूबर 2022, दिन बुधवार को पड़ रही है और शास्त्रों के अनुसार माता रानी हाथी पर सवार होकर पृथ्वी लोक से प्रस्थान करेंगी। वहीं हाथी और डोली दोनों ऐसी ही सवारी हैं जिनसे माता भवानी का पृथ्वी पर आना और जाना शुभ नहीं माना जाता है। परन्तु इन सब बातों का ये अर्थ बिलकुल भी नहीं है कि माता का आगमन और प्रस्थान हमारे लिए शुभ है या अशुभ।
इन सब बातों का सीधा सा संकेत यही है कि, हमें भविष्य में आने वाली दिक्कत और परेशानियों के लिए सचेत हो जाना चाहिए। तथा उनका सामना करने के लिए अपने आत्मबल को मजबूत रखना चाहिए। साथ ही मातारानी की पूरे विधि विधान से पूजा-अराधना करनी चाहिए। क्योंकि मातारानी ही मुसीबतों से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद करती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)